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*Editorial by Mahendra Nath sofat ex minister: कमलनाथ_मांग_रहा_कमल_निशान*

 

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19 फरवरी 2024- (#कमलनाथ_मांग_रहा_कमल_निशान)-

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवम पूर्व केंद्रीय मंत्री कमल नाथ और उनके सांसद बेटे नकुल नाथ की कांग्रेस छोड़कर भाजपा मे जाने की अटकलें लगाई जा रही है। हालांकि इन अटकलों मे कितनी सच्चाई है वह भविष्य के गर्भ मे है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वह कांग्रेस से राज्यसभा टिकट न दिए जाने के चलते नाराज चल रहे है। स्मरण रहे वह कांग्रेस के टिकट पर नौ बार छिंदवाड़ा से सांसद रह चुके है। वर्तमान मे छिंदवाडा का प्रतिनिधित्व उनका बेटा कर रहा है। कमल नाथ मूल रूप से मध्यप्रदेश के रहने वाले नहीं है। वह कानपुर के ब्राह्मण व्यवसायी परिवार से आते है, लेकिन इंदिरा गांधी परिवार के निकट होने के कारण उन्हे 1980 मे छिंदवाड़ा से कांग्रेस का टिकट मिला और इंदिरा ने उन्हे अपना तीसरा पुत्र बता कर लोगो से उन्हे जिताने की अपील की। बस उसके बाद उन्होने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री के पद तक पहुंच गए ।

कांग्रेस से लगातार पलायन जारी है जाने वालो मे पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्तर के वरिष्ठ नेता शामिल है। कांग्रेस का यह बिखराव कब और कहां जा कर रूकेगा इसके बारे मे निश्चित भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है, लेकिन यह साफ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस संगठन का प्रबंधन कमजोर हाथों मे चला गया है। जहां भाजपा के रणनीतिकारो ने दूसरी पार्टियों मे असन्तुष्ट चल रहे नेताओं को भाजपा मे लाने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावडे के नेतृत्व मे एक प्रकोष्ठ बना रखा है, वहीं कांग्रेस अपने नाराज नेताओं को लेकर बेफिक्र और बेपरवाह नजर आ रही है। मेरी समझ मे भाजपा रणनीतिकार यह सब विरोध पक्ष को निरुत्साहित करने के लिए कर रहे है। उनका पहला लक्ष्य था इंडिया गठबंधन के अस्तित्व को खत्म करना उसमे वह लगभग सफल हो चुके है। दुसरा लक्ष्य है मुख्य विरोधी दल कांग्रेस के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगाना। उसमे भी वह सफलता की ओर बढ़ रहे है। इस सारी राजनैतिक डेवलपमेंट का दोनो कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ताओं पर प्रभाव पड़ रहा है। कांग्रेस के कार्यकर्ता निराश है तो भाजपा के कार्यकर्ता विचलित है। दोनो दलों के कार्यकर्ता बराबर असुरक्षित महसूस कर रहे है। कांग्रेस के कार्यकर्ता पराजित होने के भय से निराशा है तो भाजपा कार्यकर्ता बाहर से आने वालो को संगठन और सरकार मे हिस्सा देने के भय से विचलित है। आज किसी भी पार्टी मे कार्यकर्ताओं की न पूछ है और न सुनवाई है। यह कड़वा सच है ।

#आज_इतना_ही।

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