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*टीबी उन्मूलन अभियान: दुर्गम पंचायतों पर करें विशेष फोक्स:डीसी कांगड़ा* टीबी फोरम की बैठकें आयोजित करने के दिए निर्देश

 

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टीबी उन्मूलन अभियान: दुर्गम पंचायतों पर करें विशेष फोक्स: डीसी
             टीबी फोरम की बैठकें आयोजित करने के दिए निर्देश
       डीसी ने नि-क्षय मित्र बनकर टीबी मरीजों की मदद को बढ़ाए कदम

Tct chief editor

धर्मशाला, 21 फरवरी। उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि टीबी उन्मूलन के लिए पंचायत स्तर तक आम जनमानस की सहभागिता सुनिश्चित करना जरूरी है तथा इस के लिए कांगड़ा जिला के दूरदराज के क्षेत्रों की पंचायतों पर विशेष फोक्स करें ताकि कांगड़ा जिला में टीबी मुक्त पंचायत अभियान को सफल बनाया जा सके। बुधवार को डीसी कार्यालय के सभागार में क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिला क्षय रोग निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उपायुक्त हेमराज बैरवा ने कहा कि विभिन्न चिकित्सा खंडों में गठित टीबी फोरम की बैठकें आयोजित की जाएं ताकि टीबी उन्मूलन के संकल्प को पूरा करने में बहुक्षेत्रीय सहभागिता पर भी बल दिया जा सके।

उपायुक्त ने कहा कि साल 2025 तक टीबी मुक्त भारत बनाने के संकल्प के साथ काम किया जा रहा है। कांगड़ा जिला इसमंे अपनी भूमिका निभाने को तत्पर है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए जिला प्रशासन निरंतर प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि जिले में टीबी के लिए नैदानिक क्षमता में काफी वृद्धि के साथ डायग्नोस्टिक सुविधा की मजबूती पर बल दिया गया है। जिले में 47 सक्रिय टीबी डायग्नोस्टिक केंद्र हैं।
9 मुख्य बिंदुओं पर करें काम
जिलाधीश ने टीबी समाप्त करने को नौ मुख्य बिंदुओं पर काम करने को कहा। उन्होंने प्रकल्पित टीबी परीक्षा दर में वृद्धि करने, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र से टीबी की पहचान पर बल देने, टीबी निवारक उपचार व्यवस्था को मजबूत करने को कहा। साथ ही दवा प्रतिरोधी टीबी में कमी लाने, सामुदायिक भागीदार के लिए रणनीति निर्माण, बहुक्षेत्रीय सहभागिता और सामाजिक कॉर्पोरेट गतिविधियों का बढ़ावा देने तथा टीबी मुक्त भारत अभियान को और गति से आगे बढ़ाने और बीमारी के कारण होने वाले जेब खर्च को कम करने के लिए कार्य करने पर बल दिया।

डीसी बने नि-क्षय मित्र

उपायुक्त हेमराज बैरवा ने टीबी रोगियों की मदद के कदम आगे बढ़ाए हैं इसी दिशा में बुधवार को आयोजित जिला स्तरीय क्षय निवारण समिति की बैठक में उपायुक्त ने नि-क्षय मित्र बनकर टीबी उन्मूलन में सहयोग देने की बात कही। उन्होंने आग्रह किया कि औद्योगिक इकाईयां नि-क्षय मित्र बनकर टी.बी रोगियों की सहायता को आगे आएं और टी.बी मुक्त कांगड़ा बनाने के संयुक्त प्रयासों में सहयोगी बनें। उपायुक्त ने कहा कि क्षय रोग असाध्य रोग नहीं है। रोग की शीघ्र और सही जांच के बाद सफल उपचार से टी.बी को हराना संभव है।

कैसे बनें नि-क्षय मित्र:
 जिला क्षय रोग अधिकारी डा सूद ने बताया कि नि-क्षय मित्र के रूप में पंजीकरण के लिए नि-क्षय पोर्टल पर एक वेब पेज कम्यूनिटीस्पोर्ट डाॅट निक्षय डाॅट आइएन बनाया गया है। इस पर पंजीकरण करने पर एक विशिष्ट आईडी मिलती है जिसके अनुसार ख्ंाड चिकित्सा अधिकारी या जिला क्षय रोग अधिकारी नि-क्षय मित्र से संपर्क करके उनके साथ सामुदायिक सहायता प्राप्त करने के लिए सहमति देने वाले सक्रिय टी.बी रोगियों की सूची साझा करते हैं। नि-क्षय मित्र उसके अनुसार सहायता का विकल्प चुन सकते हैं। इस अवसर पर टीबी चैपिंयन्स ने भी अपने अनुभव साझा किए। बैठक में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुशील शर्मा ने जिले में टीबी उन्मूलन के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। इस अवसर पर चिकित्सा अधीक्षक डा गुलेरी सहित स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न अधिकारी उपस्थित थे।

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