*जिसका दुनिया चंपू बना चुकी हो उसको चम्पी से भी आराम नहीं आता*


जिसका दुनिया चंपू बना चुकी हो उसको चम्पी से भी आराम नहीं आता।

बड़े दिनों से तुम्हारी खामोशी सता रही थी तो अचानक ही तुम्हें सरप्राइज देने की सूझी। संडे का दिन है सोचा घर पर होंगे तो जाकर मिल लूँ हालचाल पूछ लूँ। जैसे ही दरवाजे की घण्टी बजायी तुमने बिखरे से बालों के साथ आंखे मलते हुए दरवाजा खोला। सिगरेट की बदबू कमरे में थी जो नज़रअंदाज़ कर दी, थोड़े दुबले से लगे वो रोनक भी चेहरे की गायब थी जो हुआ करती थी।अरे! दो बजे रहे तुम अभी तक इस हाल में, सोकर उठे हो अभी क्या? मेरी तरफ पानी का गिलास करते हुए बोले नहीँ बस यूं ही थोड़ा ! आप बताओ कैसे आना हुआ? उसने कहा आ नहीं सकती क्या! ऐसी कोई बात नहीं है सोचा नहीं था तो पूछ लिया। उसने पूछा खाने में क्या बना है बहुत भूख लगी है! जवाब था बनाया नहीं, ब्रेड है चलेगी क्या? चलो तुम बैठो मैं ही बना देती हूँ मैंने भी यूँही बोल दिया और देखने लगी कि क्या बनाऊं। पहले तो एहसास हुआ कि शायद मेरा आना अच्छा नहीं लगा फिर उसके चेहरे की तरफ देखा तो हल्की सी खुशी नज़र आई और बताओ आजकल तुम्हारे वो “गुड मोर्नग” के मैसज नहीं आते अब, जिन्होंने ने बड़ा परेशान किया था मुझे वक़्त नहीँ मिलता था तो जवाब नहीं कर पाती थी, आपकी भी आदत बात-बात पर खीजने की है। जबाव था अब मेरा मन नहीं करता यह सब चौंचले हैं गुड मोर्नग के “हम न भी करें तो भी सबकी मोर्नग गुड़ ही होगी” । दो मिनट सोचने लगी मैं भी यह वही तो है न या कोई सपना है। चलो! खाना रेडी है टेस्ट कर के बताओ कैसा बना है? एक निवाला उठाते ही आंखे भर ली और ज़ोर लगा कर जो गले में घुटन थी दबा ली मुस्कुराते हुए कहा अच्छा है रोज़ आ जाया करो बनाने।यह देखकर मेरे भी गले में कुछ अटक सा गया था मैंने भी बड़ी मुश्किल से सम्भाला खुद को और बातों-बातों में एक चपाती और ले लो यार! बोल कर खिलाती रही। न तुमने कुछ बताया न मैं पूछ पाई कि आखिर हुआ क्या है? तो अब चलूँ! नहीं थोड़ा रुक जाओ मुझे अच्छा लगा आपका अपना। तो यह बताओ पिछ्ले कल रात को 2 बजे तक तुम गाड़ी में क्यों सोते रहे ! कमरे नींद नहीं आती है क्या?नींद ही तो बहुत आती है होश ही नहीं थी बस ऐसे ही नींद पड़ गयी थी। मैंने भी बात को बढ़ाते हुए इशारा करके बोला ड्रंक एंड ड्राइव ठीक नहीं होती और गाड़ी में सोना भी नहीं! जबाव था ह्म्म्म अब यह गलती नहीं होगी ध्यान रखा जाएगा। सुनो तुम्हारा “आई मिस यु ” का लास्ट मैसज एक महीना पहले का था अब याद नहीं आती क्या! यादाश्त ही तो नहीं जाती मेरी यही तो दुःख है बस अब परेशान करना छोड़ दिया है फिर आप खिज भी तो जाती थी मुझसे। हाँ! यह तो है पर अब मुझे बुरा नहीं लगेगा तुम कर के देखना फिर हल्की सी मुस्कुराहट दे कर कहा अब मुझे आदत नहीं रही है गले पड़ने की! पर आपका आना अच्छा लगा। मैंने बोला अच्छा तुम्हारी चम्पी कर दूँ, अच्छा लगेगा ! नहीं जिसको दुनिया चंपू बना चुकी हो उसे अब क्या अच्छा लगेगा! कोई है क्या जो रूठा है! जबाव था नहीं बदल गए हैं लोग रूठे होते तो मना लेते ।बस इतना सी ही मुलाकात थी! न अपनापन लगा न बेगानापन लगा, पर कोई ऐसे खामोश कैसे हो सकता है अब बस यही सोचती रहती हूँ! दुआ है कि तुम वापिस आ जाओ जैसे इस साल के शुरू में हुआ करते थे। सबके नाम के आगे जी लगाकर के बोलते हो तो दिल जीत लेते हो, तुम्हारी खामोशी मुझे अब चुभती है।
तृप्ता भाटिया✍️