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*हिमाचल_की_राजनीति_मे_क्या_होगा_आगे*

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2 मार्च 2024- (#हिमाचल_की_राजनीति_मे_क्या_होगा_आगे?)–

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

यह सौ टके का सवाल हर जगह चर्चा मे है। मेरे पाठक भी मुझे यही प्रश्न कर रहे है पूछ रहे है मेरा अनुभव क्या कहता है। दोस्तो इसका कोई सटीक उत्तर न मेरे पास है और न ही किसी और के पास हो सकता है। असल मे राजनीति संभावनाओं का खेल है। आज कल तो राजनीति मे स्वार्थ का बोलबाला है। सिद्धांत की राजनीति करने वाले रेस से बाहर हो रहे है। तिकड़म और जुगाड़ की राजनीति सफल हो रही है। धन-बल और बाहुबल राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं। खैर हिमाचल मे क्या होगा यह सब भविष्य के गर्भ मे है। यह जरूर है कि इस छोटे प्रदेश की राजनीति दिलचस्प और गर्म हो गई है। देश मे पहली बार स्पीकर ने त्वरित कार्रवाई कर वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करते हुए दो दिन मे ही 6 विधायकों की विधान सभा सदस्यता निरस्त कर दी है। अब प्रदेश की राजनीति तकनीकी पेचीदगियों, राजनैतिक चालों और कानून के दाव पेचों मे फंस कर रह जाएगी। अभी तक गणित बताता है कि इस घटनाक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी हर्ष महाजन है और सबसे बडा नुकसान 6 निष्कासित विधायकों का हुआ है। अब इन विधायकों के पास बहुत ही सीमित विकल्प है। यह स्पीकर के फैसले के खिलाफ कोर्ट मे याचिका दायर कर सकते है, लेकिन वहां तुरंत कितनी और कैसी राहत मिलेगी उस पर सशंय बना हुआ है। न्यायालय से न्याय प्राप्त करने लिए अति कठिन और लम्बी प्रक्रिया मे से गुजरना होगा ।

मेरा अनुभव कहता है कि कोर्ट से निर्णायक निर्णय के लिए कम से एक वर्ष का समय लग सकता है। दुसरा विकल्प है कि वह मध्यप्रदेश की तर्ज पर उपचुनाव का सामना करे और भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ कर विधान सभा पहुंचे। वह प्रयास करे कि यह उप-चुनाव संसदीय चुनाव के साथ हो जाएं। फिर अगर उन्हे अपने निर्वाचन क्षेत्र मे समर्थन मिलता है तो वह मई तक पुनः विधायक बन सकते है। इसके लिए भी उन्हे कठिन परीक्षा देनी होगी। पहले भाजपा का टिकट हासिल करना होगा और फिर वहां पर मौजूद भाजपा कार्यकर्ताओं का समर्थन जुटाना होगा। मेरी समझ मे उपचुनाव लड़ना ही इन निष्कासित विधायकों और भाजपा के हित मे होगा। अगर भाजपा इन्हे जीता पाती है तो उनका संख्या बल बढ़ जाएगा और वर्तमान सरकार जादूई आंकडा और सरकार चलाने का नैतिक बल खो देगी। कोर्ट जाने का अर्थ होगा लटकना और प्रतीक्षा की लाइन मे खड़े होना। मै जब सारे घटनाक्रम का परीक्षण करता हूँ तो इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूँ कि कथित ऑपरेशन लोटस के प्रबंधको से बड़ी चूक हुई है उन्हे कांग्रेस के विधायकों की क्रास वोटिंग पर सन्तोष करना चाहिए था और अपना ऑपरेशन लोटस लोकसभा के चुनाव परिणाम का अवलोकन करने के बाद शुरू करना चाहिए था। खैर हम तो हिमाचल की राजनीति की दर्शक दीर्घा मे बैठ कर जो सोचते और समझते है वह अपने पाठकों के साथ सांझा कर लेते है। कोई इन बातों को अन्यथा न ले।

#आज_इतना_ही।

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