*नगर निगम की मजबूरी पैसों की कमी से बड़ी-2 योजनाएं सालों से रह रहीअधूरी🤣(खड्डे भरने आदि जिसका खर्चा 5,7सौ ₹)*
नगर निगम का शासन प्रशासन बहुत ही जिम्मेदार और लोगों की समस्याओं का तुरंत संज्ञान लेने वाली नगर निगम है ।लोगों की समस्याओं को यह एकदम समझती है उस समस्या को सुलझाना और उसे पर तुरंत कार्यवाही करके लोगों को सुविधा प्रदान करना यह नगर निगम के बहुत बड़ी खासियत है समस्या बिजली पानी सड़क या सफाई की हो उस पर तत्वरित कार्यवाही की जाती है यहीं कारण रहा कि नगर निगम को स्वच्छता का अवार्ड भी मिला।
नगर निगम में बहुत बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स आए हैं बहुत बड़े-बड़े कार्य हुए हैं करोड़ों के टायलेट्स बने हैं करोड़ों की लाइट्स लगी है सड़के बनी है, पहले से पक्की गलियों को फिर से पक्का किया गया ताकि मजबूती के गारंटी बनी रहे ।
सड़कों में खड्डा की बात हो या सड़कों के किनारे डेढ़ 2 फीट गहरी यू शेप ट्रेन बनानी हो जिससे भले ही यातायात में लोगों का असुविधा न हो परंतु यह अपने नियम अनुसार ही कार्य करते हैं हां यह बात अलग है कि उसमें अगर आप की स्कूटी फिसल गई तो आपके दोनों पैर टूटने लगभग तय हैं। देखिए साहब आप तो सिर्फ एक तरफ सोचते हो अगर लोग जख्मी नहीं होंगे उनके फ्रैक्चर नहीं होंगे वह गंदा पानी पीने से बीमार नहीं होंगे तो फिर अस्पतालों का क्या होगा सरकार ने इतने बड़े-बड़े अस्पताल खोले हैं वहां भी तो मरीज चाहिए ना। और यह बात आम आदमी के समझ में नहीं आ सकती क्योंकि अगर आम आदमी आम ना होता तो वह आज काउंस मेय बना होता।
यह तस्वीर और वीडियो जो आप देख रहे हैं यह एसडीम ऑफिस के एकदम बाहर लगभग पिछले 1 साल से खड्डा बना है पानी के लीकेज हो रही है यही लीकेज वाला गंदा पानी पीने को लोग मजबूर हैं और इसी खड्डे में किसी एक लड़की की टांग टूटने से बची सोचिए अगर उसे लड़की की इस खड्डे में घुसने से टांग टूट जाती है तो उसके जीवन का क्या होता है वह अपनी पढ़ाई कैसे पूरी करती ?उस लँगड़ाती लड़की से शादी कौन करता ?उसे जीवन भर कौन पालता? परंतु दुख का विषय यह कि ये बातें सिर्फ लेक्चर हॉल में अच्छे लगते हैं असली जिंदगी में इनका कोई महत्व नहीं। और नगर निगम की कुछ मजबूरी रही होगी की है 500 700 का खर्चा नहीं कर पा रहे हैं यहां पर बैठने वाले वकीलों ने और दुकानदारों ने बताया कि कई बार इस बारे में संबंधित लोगों से बात की गई परंतु सब हां जी हां जी करके चले जाते हैं कार्यवाही कोई नहीं होती। अगर मीडिया को ही इतने छोटे-छोटे खड्डे भरने के लिए आगे आना पड़े तो फिर यह लोग किस बात की जिम्मेवारी लेते हैं क्या जनता के प्रति या लोगों के समस्याओं के प्रति उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं है यह वहां के दुकानदारों और आगन्तुकों का तथा वकीलों का कहना था।
कुछ वकीलों ने तो यहां तक कहा कि अगर हमें नगर निगम एनओसी दे दे तो हम स्वयं यह कार्य करवा लेंगे और लोगों को असुविधा से बचा लेंगे।
अभी यह नगर निगम पर निर्भर है कि वह अनापत्ति प्रमाण पत्र देते हैं या यह छोटा सा कार्य खुद करवा लेते हैं ऐसे ही कई अन्य छोटे छोटे कार्य हैं दुकानदारों की समस्याएं हैं उन पर निगम का शासन प्रशासन कोई संज्ञान नहीं लेता केवल कौन सी गाड़ी से जाना है कौन सी गाड़ी से आना है इसी पर ध्यान केंद्रित है। बाजार में आवारा पशुओं की समस्या से शहर के सभी दुकानदार परेशान है परंतु वह किसकी जिम्मेदारी किसकी नहीं किसी को मालूम नहीं कमाल है किसी को पता नहीं।
शहर में स्ट्रीट लाइट की समस्या है सार्वजनिक शौवहालयों का बुरा हाल है परंतु यह सब समस्याएं जनता की है शासन प्रशासन करने से कोई लेना देना नहीं।