*मै_आदरणीय_शांता_कुमार_जी_के_अनुराग_ठाकुर_को_हमीरपुर_से_निर्विरोध_संसद_मे_भेजने_के_कथन_से_सहमत_नहीं :-महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश*
15 मार्च 2024–(#मै_आदरणीय_शांता_कुमार_जी_के_अनुराग_ठाकुर_को_हमीरपुर_से_निर्विरोध_संसद_मे_भेजने_के_कथन_से_सहमत_नहीं)–
हालांकि मै शांता जी के इस दावे को चुनौती नहीं दे रहा हूँ कि अनुराग ठाकुर ने अपने चुनाव क्षेत्र मे शानदार काम किया है, लेकिन फिर भी मै अपने नेता शान्ता कुमार जी के उपरोक्त कथन के साथ असहमत होने का दुस्साहस कर रहा हूँ, क्योंकि मेरी समझ मे उनकी यह अपील इस सिद्धांत के खिलाफ है कि अच्छे से ‘अच्छे काम के बाद भी सुधार की गुंजाइश’ बनी रहती है। ऐसा करके हमीरपुर के मतदाता और बेहतर प्रतिनिधि चुनने का अवसर खो देंगे। शांता जी लोकतंत्र के बड़े पैरोकार है और चुनाव लोकतंत्र का एक अभिन्न अंग है। मेरे विचार मे किसी को भी निर्विरोध भेजना लोकतंत्र को सीमित करता है और चुनावी प्रतिक्रिया अनुराग ठाकुर से भी शानदार काम करने वाले को चुनने का अवसर प्रदान करता है। मुझे नहीं लगता शांता जी को ऐसे अवसर को खो देने की सलाह हमीरपुर के लोगो को देनी चाहिए। एक बात और तर्क संगत है कि अनुराग जी के काम को परखने का अधिकार केवल हमीरपुर के मतदाताओं के पास है। वह ही अपने प्रतिनिधि को अंक दे सकते है।
जब चुनाव होगा तो अनुराग अपना लेखा- जोखा अपने मतदाताओं के सामने पेश करेंगे और उसके बाद उनके मतदाता फेल और पास करेगें एवं उनकी मैरिट तय करेगें। वैसे भी हमीरपुर की जनता उन्हे चार बार अपना प्रतिनिधि बना चुकी है और वह पांचवी बार जनादेश लेने और प्रतिनिधि बनने के लिए चुनाव मैदान मे उतरेगें। स्मरण रहे विश्व के कुछ विकसित देशों मे तो दो बार से अधिक किसी को चुने जाने की मनाही है। शांता जी ने अपने बयान मे कमजोर विपक्ष को लेकर भी चिंता व्यक्त की है। उनकी चिंता बिल्कुल सही और सामयिक है परन्तु यह भी सत्य है कि हमीरपुर से भाजपा को अगर विपक्ष निर्विरोध सीट देगा तो विपक्ष और कमजोर हो जाएगा। शांता जी मेरे नेता और प्रेरणास्रोत है। मेरा उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। यह टिप्पणी मैने अपनी समझ और लोकतंत्र के स्वीकृत सैध्दांतिक मान्यताओं के मद्देनजर की है। मै इसके लिए उनसे क्षमाप्रार्थी हूँ।
#आज_इतना_ही।