*जनमंच:-मेरे1500 रुपए*


मेरे 1500 रुपए

हर शहर हर कसवे में तहसील वेलफेयर अधिकारी के कार्यालय के बाहर महिलाओं की लंबी होती लाईन किसी मेले का दृश्य दर्शा रही है दोस्तो । अब यह उचित है या अनुचित मुझे नहीं पता क्योंकि मैं भी इस लम्बी होती लाईन का ही एक हिस्सा हूं । कुछ महिलाओं के चेहरे पे रौनक है शायद इस नाकाफी और मुफ्त के धन के उन्होंने काफी हसीन सपने बुने हैं किंतु कुछ के चेहरों पे अभी भी विषाद की रेखाएं हैं सम्भवता घर के ताने बाने से अभी बाहर नहीं निकल पाई हैं , अरे कुछ दूरदर्शी तो अपना लंच बॉक्स भी साथ लाई हैं ना जाने लाईन में कितनी देर खड़ा रहना पड़े अब 1500/रुपयों के पीछे कोई भूखा थोड़ा रहना है । कुछ सास माएं अपनी बहुओं के साथ आई हैं अरे चौंकिए मत अब उनके नन्हें मुन्नों को भी तो कोई संभालेगा जो मां का आंचल पकड़े साथ खड़े हैं । कुछ महिलाएं अभी भी आगे पीछे की दौड़ लगा रही हैं शायद शायद उनके फार्म के कागज़ अधूरे हैं । वैसे एक अंदर की बात बताऊं कुछ महिलाएं तो अपना फार्म भरने के लिए बड़ी बड़ी गाड़ियों से उतरी हैं जिनमे बैठना एक आम आदमी के लिए एक स्वप्न की मानिंद है । अब क्या कहें यह धन दौलत की चकाचौंध बड़ी तीव्र होती है इसके आकर्षण से कोई बिरला ही बच पाया है हम किस खेत की मूली हैं ।
अरे यह क्या यह बीच में ही चुनाव आयोग ने लोक सभा निर्वाचन 2024 का शंखनाद
कर दिया है और आदर्श चुनाव संहिता लागू हो गई है अब इसका असर इस बढ़ती लाईन पर भी पड़ेगा या नहीं यह एक दो दिन में पता चल जायेगा । चाहे कुछ भी हो दोस्तो यह हर प्रदेश में यह कुछ ना कुछ फ्रीबीस का जो प्रचलन बढ़ा है वह हमें किस ओर ले जायेगा शायद भविष्य के गर्भ में छुपा है । इस सोच से दूर लाईन महिलाओं की हंसी खुशी अट्टहास का पूर्ण आनंद उठा रही है ।