*लिखना दुनिया की सबसे दर्दनाक क्रिया है:tripta Bhatia*
लिखना दुनिया की सबसे दर्दनाक क्रिया है।
अगर कोई मुझसे पूछेगा की रोने से या शब्दों को लिखने से किससे ज्यादा दुख कम होता है? तो मैं उसे बेहिचक रोने को कहूँ गे। लिखने के साथ दिक्कत ये होती है कि आप शब्दों को अमर कर देते हैं और जब जब वो शब्द आपकी नजरों से गुजरता है आप उस दुख को दुबारा महसूस करते हैं। लेकिन रोने में आंसूओं के साथ आपका दुख भी बाहर निकल जाता है और अगली बार की आंसू किसी नए दुख के लिए होता है।
अगर आप एक मध्यमवर्गीय घर के जिम्मेदार बेटा या बेटी हैं तो आपको पूरे परिवार के दुख को जीना होता है। परिवार के दुख में आप अपना दुख भूल जाते हैं और चाहते हैं अपना दुख हमेशा के लिए भुला दिया जाए।
लेकिन जब आप अकेले होते हैं और जिंदगी आपसे पूछती है कि तुमने अपने लिए क्या किया अबतक? तुम्हारे सपने,तुम्हारे ख्वाहिशों,तुम्हारे प्रेम का क्या हुआ? तब आपके सामने वो सारे दुख बारी बारी से आते हैं जिसे आप दफन करने की नाकाम कोशिश किये थे। तब आप न चाहते हुए भी रोते हैं और खुद ही आंसू पोछते हैं या मेरी तरह कलम निकालकर उसे शब्दों से द्वारा मिटाने की कोशिश करते हैं।
दर्द लिखना एक ऐसा क्रिया है जिसमे हजारो बूंद आँसू को पी कर कलम चलती ये लिखना तब शुरू किया जब रोने की आजादी छीन ली गई अक्सर हम, अपने पुराने लिखे पोस्ट पढ़ उस छन को जीते हैं। @highlight