Electrol Bond:*चंदा_है_बड़ा_धंधा इलेक्टरल बॉन्ड पर बड़ा प्रश्न चिन्ह: लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री*


Electrol Bond:*चंदा_है_बड़ा_धंधा इलेक्टरल बॉन्ड पर बड़ा प्रश्न चिन्ह: लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री*

18 मार्च 2024- (#चंदा_है_बड़ा_धंधा)–
हमारे देश मे चंदा एक बड़ा धंधा है। चंदा धर्म, समाज और राजनीति के नाम पर इकठ्ठा किया जाता है। इस सन्दर्भ और इस शीर्षक के अंतर्गत मै पहले भी अपने विचार पाठकों के साथ सांझा कर चुका हूँ, लेकिन अभी देश की सर्वोच्च अदालत द्वारा राजनैतिक चंदे के लिए बनाई गई चुनावी बांड योजना को निरस्त करने और प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड की अगुवाई वाली संविधान पीठ ने एस.बी.आई को निर्देशित करने के बाद कि चुनावी बांड के खरीददार, राशि और खरीद की तारीख़ का खुलासा किया जाए। सारे देश मे चुनावी चंदे को लेकर बहस चल रही है। स्मरण रहे पिछले पांच वर्षों मे 22,217 चुनावी बांड खरीद कर विभिन्न खरीददारों द्वारा विभिन्न राजनैतिक दलों को दिए गए है। निश्चित तौर पर इन चुनावी बॉण्ड की सबसे बड़ी प्राप्तकर्ता देश की सबसे बड़ी सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा है लेकिन इस योजना का लाभ सभी प्रमुख राजनैतिक दलों ने उठाया है।
प्रथम दृश्य मे समझ आता है जितनी जिस दल की सत्ता मे हिस्सेदारी उसी हिसाब से उसे चुनावी बांड प्राप्त हुए है।हालांकि चुनावी बांड को लेकर सोशल नेटवर्किंग पर बहुत कुछ कहा जा रहा है और आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, लेकिन अभी तक एस.बी. आई ने यूनीक अल्फा- नयूमेरिक नंबर चुनाव आयोग को उपलब्ध नहीं करवाए है। यह वह नंबर है जिससे आधिकारिक तौर पर पता चल सकेगा कि किस पार्टी को कितना चंदा वास्तव मे प्राप्त हुआ है। मेरी समझ मे अभी तक के खुलासे का अवलोकन कर एक बात तो स्पष्ट है कि इस योजना के आर्किटेक्ट ने ऐसी योजना बनाई थी जिसमे पारदर्शिता की भारी कमी है। लोकतंत्र मे कुछ भी जनता से छुपाया नहीं जाना चाहिए, लेकिन इस योजना का उद्देश्य ही राजनैतिक दलों को गुप्त दान उपलब्ध करवाना था। यह योजना पहले से विवादों मे थी और कुछ जागरूक लोगो ने चंदा लेने और देने वाले के नाम जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट मे दस्तक दी थी।
कार्पोरेट जगत विकसित देशों मे भी राजनैतिक चंदा देता है, लेकिन वहां पार्टियाँ उनका नाम सार्वजनिक करती है। खैर जितनी सूचना उपलब्ध हुई उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि कोर्ट ने जनहित मे बड़ा निर्णय सुनाया है, लेकिन उनके नाम का खुलासा करना ही काफी नहीं है इस सारे मामले की गहन जांच और विवेचना होनी जरूरी है। विवेचना इसलिए भी जरूरी है, चुनावी बांड के द्वारा सभी प्रमुख राजनैतिक दलों ने चंदा लिया है यानि कि” इस हमाम मे सब नंगे है”। कोई कम कोई ज्यादा। यह ठीक है जिस दौरान यह लेन देन हुआ वह सब कानून सम्मत था, लेकिन अपुष्ट आरोप इसमे यह लगाए जा रहे है कि इसमे ऐसे पैसे का लेन-देन भी हुआ है जो वैध धन की श्रेणी मे नहीं आता है। इस लिए सुप्रीम कोर्ट को इस सारे मामले की जांच के आदेश देने चाहिए।
#आज_इतना_ही।