देशपाठकों के लेख एवं विचार
*”यादें” लेखक विनोद शर्मा वत्स मुंबई*
यादे
कल अयोध्या जा रहा हूँ
तुम्हारी यादों के साथ
तुम नही हो
लेकिन तुम्हारी यादे तो है
उन्हें लेकर
राम जी के चरणों मे हाज़री लगाने जा रहा हूँ
वो यादे
जो सिर्फ और सिर्फ मेरे ज़हन में है
उसका बोध भी ना होने दूँगा किसी को
की तुम्हारी यादे मेरे साथ है।
जो हमेशा मेरे साथ रहेंगी
मैं चुपचाप गुमसुम अंजान बनके
तुम्हे अपने दिल मे समेटे हुये
तुम्हे
राम जी के चरणों के दर्शन करा लाऊँगा।
कुछ दिन बाद
वैष्णोदेवी चलेंगे माँ के बुलाने पर
तब भी
हम दोनो साथ होंगे
मैं और तुम्हारी यादे।
दोनो गुपचुप बिना किसी को बताये
माँ के दर्शन करके आयेंगे
सच कितना सुकून मिलेगा
तुम्हारी आत्मा को
मैं भी जी पाऊँगा
ये सोचकर
कि चलो तुम्हारे संग यात्रा तो पूरी की
चाहे तुम नही तुम्हारी यादे ही सही।
विनोद शर्मा वत्स