*Editorial:- Mahendera Nath Sofat: सुरक्षा_के_नाम_पर_करदाताओं_के_पैसे_की_बर्बादी*
20 मार्च 2024– (#सुरक्षा_के_नाम_पर_करदाताओं_के_पैसे_की_बर्बादी)–
प्रतिष्ठित हिंदी दैनिक मे छपी रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठनीया का सुरक्षा घेरा बढ़ा दिया गया है। अखबार के अनुसार बजट सत्र के दौरान घटे घटनाक्रम और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई गई है। स्मरण रहे उन्होने अपने स्पीकर पद के कर्तव्य का निर्वाहन करते हुए दल-बदल कानून के अंतर्गत 6 बागी विधायकों की सदस्यता निरस्त कर दी थी। मेरी समझ मे इस फैसले के बाद उन्हे कोई बड़ा खतरा हो गया है ऐसा कुछ दिखाई नहीं देता है, लेकिन फिर भी अब उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है जो सुरक्षा कारणों से कम लेकिन उनकी शानो शौकत को बढ़ाने के अधिक काम आएगी। नये आदेश के तहत अब उनके काफिले मे एसकॉर्ट के साथ सशस्त्र पुलिस कर्मियो से लैस पायलट भी साथ चलेगी। इसके अतिरिक्त अब दो पी. एस. ओ भी 24 घंटे उनके साथ रहेगें। अब उनके आवास पर 1 हैड कांस्टेबल और 4 कांस्टेबल की तैनाती रहेगी। इसके साथ ही एस्कॉर्ट और पायलट मे क्रमशः 1 एन.जी.ओ ग्रेड- 1 और एन. जी .ओ ग्रेड-11 के 3 जवान हथियारों से लैस रहेगें। राज्य सरकार ने स्पीकर साहब की सुरक्षा तो बढ़ा दी लेकिन इस बात का खुलासा नहीं किया कि एक दम उन्हे किससे खतरा है। उधर केन्द्रीय सरकार ने भी 6 बागी विधायकों को केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सुरक्षा प्रदान कर रखी है। साथ ही 3 निर्दलीय विधायक भी केन्द्रीय सुरक्षा बलों के घेरे मे है। इन विधायकों के घरों पर भी सुरक्षा दी गई है। वह अपने एक्शन को न्याय संगत बता रहे है लेकिन अपने क्षेत्र के मतदाताओं का सामना न करते हुए बार-बार अपने ठिकाने बदल रहे है।
मेरे विचार मे यदि उन्होने क्रास वोटिंग और विह्प का उल्लंघन सर्वहित मे किया है तो उनको न तो छुपने की जरूरत है और न ही सुरक्षा की जरूरत है। अगर उन्होने यह अपने स्वार्थ के लिए किया है तो देर- सवेर उन्हे अपने मतदाताओं के विरोध का सामना करना ही पड़ेगा। खैर स्पीकर का फैसला जिसकी अभी न्यायिक समीक्षा होनी शेष है के कारण दी जा रही सुरक्षा और इन निष्कासित विधायकों की सुरक्षा पर लाखों रूपए खर्च होने का अनुमान है। यह एक स्वीकार्य सच्चाई है कि आज- कल सुरक्षा कवर सिर्फ स्टेटस सिम्बल मात्र है और नेता इसका उपयोग अपनी ताकत की नुमाइश के तौर पर करते है। स्पीकर और विधायकों को दी गई सुरक्षा गैर जरूरी है और राजनैतिक कारणों से दी गई प्रतीत होती है। मुझे लगता है राज्य और केन्द्र सरकार को इस विषय पर पुनर्विचार कर सुरक्षा वापस लेनी चाहिए और करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग रोकना चाहिए।
#आज_इतना_ही।