पाठकों के लेख एवं विचार

*’बारिश’ :-विनोद शर्मा वत्स*

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आप सभी के लिये बारिश पर नई रचना

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अबके बारिश इतनी बरसी तोड़ दिये सब बांध।
उसकी चपेट में जो भी आया उसे पहुँचाया धाम।

नदिया नाले पोखर गड्ढे इन सारों ने रूप है बदले
पर्वत दरके मिट्टी सरकी शहरों के नक्शे हे बदले
प्राकृति ने उधम मचाया बह गये गावँ के गावँ।
उसकी चपेट में जो भी आया उसे पहुंचाया धाम

उत्तराखंड हिमाचल पंजाब हिमालय ने थर्राए।
कही पे बादल ऐसा फूटा देख मानव है घबराये।
पानी का सैलाब देख सब बोले रक्षा करो है राम।
उसकी चपेट में जो भी आया उसे पहुँचाया धाम।

दोष नही किसी का मानव ने आग लगाई।
पहाड़ो की देव भूमि पे तूने गंदगी फैलाई।
कही पे रील कही गल बइया कही गंदे काम।
उसकी चपेट में जो भी आया उसे पहुँचाया धाम।

विनोद शर्मा वत्स

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