*तीन_निर्दलीय_विधायकों_का_विधानसभा_के_बाहर_धरना*
1 अप्रैल 2024- (#तीन_निर्दलीय_विधायकों_का_विधानसभा_के_बाहर_धरना)–
आज हमारी गप्प गोष्टी मे तीन निर्दलीय विधायकों के त्यागपत्र को लेकर चर्चा हुई। सबके अपने-अपने विचार थे। कुछ का मत था कि विधायकों को अपने पद से त्यागपत्र देने और पुनः जनादेश प्राप्त करने का अधिकार है और स्पीकर को उनके त्यागपत्र तुरंत स्वीकार करने चाहिए जबकि कुछ का कहना था कि अभी 15 महीने पहले इन्होने जिस पार्टी को हराया था अब उसी के टिकट पर यह लोग दुबारा चुनाव लड़ विधान सभा मे जाना चाहते है। उनका मत था भले इनके त्यागपत्र स्वीकार कर लिए जाएं लेकिन ऐसा कानून होना चाहिए कि यह लोग पुनः चुनाव न लड़ सके। खैर हमारी गप्प गोष्टी सर्वदलीय है और सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। हालांकि चुने हुए निर्दलीय विधायकों का त्यागपत्र किसी को हजम नहीं हो रहा है। हर कोई इन त्यागपत्रों के पीछे की पृष्ठभूमि जानने के लिए उत्सुक है। मेरी समझ मे त्यागपत्र देना और स्पीकर द्वारा त्यागपत्र स्वीकार न करना दोनो बातों के पीछे की पृष्टभूमि राजनैतिक है। हालांकि मै निर्दलीय विधायकों के इस दावे को चुनौती देने मे सक्ष्म नही हूँ कि हमने स्वेच्छा से त्यागपत्र दिया है, लेकिन इतना विश्वास के साथ कह सकता हूँ कि उनका त्यागपत्र स्वेच्छापूर्वक कम और भाजपा की रणनीति के अंतर्गत अधिक दिया गया है।
स्पीकर कांग्रेस हित को ध्यान मे रखते हुए इसे स्वीकार नहीं कर रहे है। वह इन निर्दलीय विधायकों के क्षेत्रों के उपचुनाव लोकसभा के साथ नहीं होने देना चाहते है। वह पुरी तरह एक कांग्रेस नेता की तरह व्यवहार कर रहे है जबकि स्पीकर का व्यवहार दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए। हिमाचल मे टी एस नेगी के बाद जितने भी स्पीकर हुए है कोई भी अपनी पहचान पार्टी से हटकर नहीं बना सका है। खैर वर्तमान स्पीकर कुलदीप सिंह पठानीया कानून के जानकार है और राज्यपाल जी ने भी उन्हे सुप्रीम कोर्ट के निर्णयो से अवगत करवाते हुए सलाह दी है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि यदि कोई विधायक स्वयं उपस्थित होकर अपना त्यागपत्र पेश करता है तो उस त्यागपत्र को स्वेच्छापूर्वक दिया गया त्यागपत्र मानना होगा। वह तीनों विधायक तो धरना देकर और सार्वजानिक तौर पर भी कह रहे है कि हमने स्वेच्छा से और बिना किसी दबाव और लालच के इस्तीफा दिया है। मेरे विचार मे स्पीकर को शीघ्र अति शीघ्र इन त्यागपत्रों को स्वीकार करना चाहिए। वहीं कानून सम्मत होगा अन्यथा इनके त्यागपत्र को और लटकाना राजनीति से प्रेरित माना जाएगा।
#आज_इतना_ही।