Congress: *गंगूराम_मुसाफिर_की_कांग्रेस_मे_वापसी_पर_हाईकमान_का_यू_टर्न*
23 अप्रैल 2024- (#गंगूराम_मुसाफिर_की_कांग्रेस_मे_वापसी_पर_हाईकमान_का_यू_टर्न)–
हालांकि किसी नेता को पार्टी मे लेना या न लेना पार्टी का आन्तरिक मामला है, लेकिन जब कोई बात सार्वजानिक हो जाए फिर उस पर टिप्पणी की जा सकती है। गंगूराम मुसाफिर प्रदेश के प्रतिष्ठित नेताओं मे से एक है। वह पच्छाद निर्वाचन क्षेत्र का लम्बे समय तक प्रतिनिधित्व कर चुके है। वह प्रदेश के मंत्री और विधानसभा स्पीकर रह चुके है। स्मरण रहे वह हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष और शिमला लोकसभा से कांग्रेस के उम्मीदवार भी रह चुके है। मेरी समझ मे वह अपने क्षेत्र के जनाधार वाले नेता है। काबिले गौर है कि मुसाफिर ने अपना पहला चुनाव 1982 मे बतौर निर्दलीय लड़ा और जीत हासिल की थी। 2022 मे उन्हे कांग्रेस ने पच्छाद से टिकट नहीं दिया और वह निर्दलीय चुनाव लड़े। हालांकि वह पराजित हुए लेकिन उन्होने 13000 मत प्राप्त कर क्षेत्र मे अपने प्रभाव की उपस्थिति दर्ज करवा दी। खैर अब फिर वह कांग्रेस मे लौटना चाहते है। उधर कांग्रेस भी समझती है कि उनके लौट आने से शिमला संसदीय क्षेत्र मे कांग्रेस के उम्मीदवार को लाभ होगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय मे राजीव भवन शिमला मे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने मुसाफिर की घर वापसी करवा दी थी, लेकिन रविवार को मुसाफिर की वापसी के बारे मे कांग्रेस हाईकमान ने यू टर्न लेते हुए प्रभारी राजीव शुक्ल के तरफ से बताया गया कि मुसाफिर को पार्टी मे लेने का मामला अभी लंबित है। यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि मुसाफिर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू की मौजदूगी शिमला संसदीय सीट के पदाधिकारियों की बैठक मे भी भाग लिया था। बात बहुत आगे निकल गई थी। मेरे विचार मे मुसाफिर जैसे वरिष्ठ नेता की वापसी को बहुत ही असंवेदनशील ढंग से डील किया गया है। भले उन्होने पिछली बार बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था फिर भी उनकी वरिष्ठता एक सम्मानित व्यवहार की हकदार है। मेरी समझ मे उनकी घर वापसी करवाने वालो को हाईकमान से जरूरी स्वीकृति लेकर ही आगे बढ़ना चाहिए था।
#आज_इतना_ही।