Election: *आनंद शर्मा विपरीत परिस्थितयों मे लड़ रहे चुनाव क्या पार लगा पाएंगे कांग्रेस की नाव* लेखक महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश
Election: *आनंद शर्मा विपरीत परिस्थितयों मे लड़ रहे चुनाव क्या पार लगा पाएंगे कांग्रेस की नाव*
O2 मई 2024- ( कांग्रेस ने आखिर दो सशक्त उम्मीदवार खोज लिए है।)- चुनाव मे अपने उम्मीदवार चुनना किसी भी पार्टी का अपना आंतरिक मामला है और साथ ही विशेषाधिकार है। कांग्रेस ने हमीरपुर से सतपाल रायजादा और कांगडा से आनंद शर्मा को टिकट देकर सशक्त उम्मीदवार की तलाश पूरी कर ली है। हमीरपुर के कांग्रेस के उम्मीदवार सतपाल रायजादा का नाम शुरू से लिया जा रहा था। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के सामने उन्हे कमजोर मानते हुए उनका नाम होल्ड पर करते हुए सशक्त उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी थी। परन्तु उप- मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और उनकी बेटी आस्था अग्निहोत्री के इन्कार करने के बाद कांग्रेस की सशक्त उम्मीदवार की तलाश उसी कमजोर उम्मीदवार के नाम पर पूरी हो गई जिसे कांग्रेस कमजोर बता चुकी थी। मेरी समझ मे रायजादा का नाम होल्ड पर कर कांग्रेस ने उनका बडा नुकसान कर दिया है जिसकी चुनाव मे भरपाई होनी असम्भव नही तो मुश्किल जरूर है। कांगडा से भाजपा के उम्मीदवार राजीव भारद्वाज के मुक़ाबले मे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आनंद शर्मा को टिकट दिया गया है। हालांकि इससे पहले विधायक आर एस बाली और पूर्व मंत्री आशा कुमारी के नाम की खूब चर्चा थी। आनंद शर्मा को टिकट मिलने का समाचार आश्चर्यचकित करने वाला है। यह ठीक है कि आनंद शर्मा देश के बडे नेता है। वह अच्छे पार्लियामेंटरीयन माने जाते है। वह विदेश मंत्रालय मे प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व मे काम कर चुके है। वह कामर्स मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रह चुके है। वह युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा मे कांग्रेस के डिप्टी लीडर की जिम्मेदारी भी निभा चुके है। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता के तौर पर अपनी जबरदस्त पहचान बना चुके है। लेकिन चुनावी राजनीतिक सफर उनका शुन्य से शुरू हुआ और शुन्य पर खत्म हो गया। उन्होने पहला और अंतिम विधानसभा का चुनाव 1982 मे लडा था और भाजपा के वरिष्ठ नेता दौलत राम चौहान से चुनाव हार गए थे। उसके बाद उन्होने दिल्ली की राजनीति की ओर रूख किया और तीन बार हिमाचल एवम एक राजस्थान से राज्यसभा जाने मे सफल रहे। वह तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र के धुर विरोधी माने जाते थे और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू के निकटस्थ समझे जाते है। आशा कुमारी का टिकट इस तर्क पर काट दिया गया कि वह कांगडा सदस्यीय क्षेत्र के छोटे जिले चंबा से आती है और आनंद शर्मा को टिकट दे दिया जिनका सारे संसदीय क्षेत्र कांगडा से दूर- दूर तक कोई संबंध नही है। उनके पूर्वज मूल रूप से गडखल जिला सोलन मे रहते थे जो बाद मे शिमला मे रहने लगे थे। अब राष्ट्रीय स्तर के प्रवक्ता आनंद शर्मा का भाषण मे निपुण हिंदी और कांगडी के जबरदस्त वक्ता राजीव भारद्वाज के बीच दिलचस्प मुकाबला होगा। राजीव की छवि स्थानीय सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ता की है तो आनंद शर्मा बडे नेता है और उनका हिमाचल से संबंध राजनैतिक पर्यटक वाला है। आनंद तेजतर्रार नेता की पहचान रखते है तो राजीव ईमानदार और समाज के प्रति समर्पित कार्यकर्ता के तौर पर जाने जाते। मेरे विचार मे आनंद शर्म को कांगडा के लोग बाहरी कह सकते है और राजीव को अपना मान सकते है। आनंद शर्मा विपरीत परिस्थितयों मे चुनाव लड़ रहे है। लेकिन उनका बडा राजनैतिक कद और प्रदेश सरकार उनके साथ है। आनंद शर्मा के लिए यह चुनाव चुनौती भी है और अवसर भी है। क्या वह इस चुनौती को अवसर मे परिवर्तित कर पाते है। यह जानने की लिए चुनाव परिणाम का इतंजार करना होगा।
आज इतना ही।