HPSEBL:- *बिजली बोर्ड द्वारा अपने ग्राहकों को हर महीने बिल अदा न करने पर नोटिस थमाने की प्रथा से लोगों में नाराजगी*
*बिल अदा न करने पर ग्राहकों को तो नोटिस दिया जाता है लेकिन बिजली की सप्लाई सही ढंग से व नियमित रूप से न देने पर अधिकारियों को क्यों नहीं पूछा जाता ?जनता का सरकार से सवाल*
HPSEBL:- *बिजली बोर्ड द्वारा अपने ग्राहकों को हर महीने बिल अदा न करने पर नोटिस थमाने की प्रथा से लोगों में नाराजगी*
बिजली सप्लाई: ग्राहकों की उम्मीदों को समझें बिजली बोर्ड
हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड एक महीना बिल न देने पर अपने ग्राहकों को झट से नोटिस निकाल दिया जाता है । क्या आपके हिसाब से किसी भी विभाग या एंटरप्रेन्योर को अपने मूल्यवान ग्राहक को इस तरह से नोटिस थमाना उनके घर और गेट के बाहर नोटिस चिपकाने उचित है। जितनी ततपरता से यह बिजली विभाग अपने मूल्यवान ग्राहकों को नोटिस थमाने में दिखाता है क्या उतनी ही तत्परता से उतने ही कर्तव्य परायणता से उन्हें निर्बाध बिजली सप्लाई दी जाती है ?
यही बिजली बोर्ड निर्वात बिजनेस रिप्लाई देने में बिल्कुल बेकार होता है और जिसकी वजह से कुछ लोगों की नौकरी पर खतरा मनराज आता है और सरकार को सोमवार के दिन वर्किंग डे के दिन कट लगाने से लाखों रुपए का हर हफ्ते या हर बिजली कट वाले दिन नुकसान होता है सोमवार को बिजली का कट लगता है और सभी दफ्तर और अस्पताल व अन्य सरकारी संस्थान थप्पड़ जाते हैं क्या पालमपुर बिजली विभाग में इस बारे में कभी कुछ सोचा है शायद नहीं क्योंकि उन्हें नोटिस थमने से फुर्सत मिले तब तो वह बिजली सप्लाई के बारे में सोच की किस तरह से अपने ग्राहकों को अधिक से अधिक निर्वाण बिजली सप्लाई दे सके जिससे लोगों का नुकसान ना हो सरकार का नुकसान ना हो लोगों को परेशानी ना हो।
और बिजली विभाग की आप यह भी समझ लीजिए कि अगर किसी ने इस मामले में अदालत का दरवाजा खटखटाया तो आपके लिए जवाब देना मुश्किल हो जाएगा कि आप अपने किसी भी अपने ग्राहक को इस तरह से दोषी नहीं ठहरा सकते। उसकी कुछ मजबूरी हो सकती है मैं बीमार हो सकता है बिल जमाना करवाने की हालत में हो सकता है या घर से बाहर हो सकता है जिसमें आपके पूर्व अधिकारी जैसे की चीफ इंजीनियर डायरेक्टर वाइस चांसलर डिप्टी कमिश्नर एसडीम SP आदि भी शामिल हो सकते हैं ।और हां अगर कोई रेगुलर डिफाल्टर है तभी आप उस आदमी को नोटिस भेज सकते हो ।
क्योंकि किसी के घर पर नोटिस चिपकाना उसकी बेइज्जती करना है समझा जाता है और समाज में उसे व्यक्ति को हीन भावना से देखा जाता है ।आपने जितने स्टाफ के लोग नोटिस थामने में लगाए हुए हैं उतने लोग आप बिजली सप्लाई को ठीक करने में लगाओ तो आपके ग्राहक खुश हो जाएंगे।
सुना है बिजली बोर्ड के करोड़ों रुपये बड़े-बड़े इंडस्ट्रीलिस्ट के पास पेंडिंग पड़े हैं बड़े-बड़े प्रभावशाली लोगों ने भी बिजली बोर्ड के लाखों रुपए देने हैं ।क्या कभी वहां पर हिम्मत की है बिजली बोर्ड ने कि उन्हें नोटिस थमाए।
एक ₹500 का बिल आम ग्राहक ना दे तो उसे घर में जाकर नोटिस थमा दिया जा रहा है जोकि गरीबों को दबाने से कम नहीं है। अगर यहां पर दबंगई शब्द का इस्तेमाल किया जाए तो वह भी उचित रहेगा। और जिन लोगों ने यह निर्णय लिया है नोटिस चिपकवाने का वह लोग यह भी समझ लें कि कल को वह लोग भी रिटायर होंगे और वह लोग भी कभी फॉरेन में जाकर रहेंगे या बीमार हो जाएंगे तो उनके घर और गेट के बाहर ऐसे ही नोटिस चिपकेंगे और आते जाते लोग कहेंगे कि यह हाल है इस अध्यक्ष का, इस डीसी, का इस वी सी का इस डी आई जी का ,इस बड़े अधिकारी का या नेता का जो बिजली का बिल तक नहीं भर सकता वह और क्या करेगा?और न जाने क्या क्या???
कई बार दो-दो दिन बिजली नहीं आती दिन में 10 बार कट लगते हैं अगर बिल लेने में इतनी एफिशिएंसी दिखाते हैं तो इन्हें सर्विस देने में, निर्वाध बिजली सप्लाई देने में भी उतनी ही तत्परता दिखानी चाहिए ।यह नहीं कि हम बिजली बिल तो समय से लेंगे लेकिन बिजली अपनी मर्जी से देंगे ।यह तो इस विभाग की दादागिरी हुई ।और किसी भी शरीफ आदमी को नोटिस देना क्या उसकीबेइज्जती करने के समान नही है? अगर आप में हिम्मत है तो किसी नेता को नोटिस थमा कर देखो तुम्हें दाल रोटी का भाव पता चल जाएगा?
आप जनता की चिंताओं को समझो । बिजली सभी आम व खास के लिए महत्वपूर्ण है और इसकी बढ़ती सेवा के लिए बोर्ड को जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।
बिजली सप्लाई निर्बाध चले आप ग्राहकों की उम्मीदों को समझें
परंतु डिफॉल्टर/ अनियमित सेवाओं के लिए हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड की सेवाओं पर ग्राहकों की नाराजगी बढ़ रही है, जहां बिजली के बिलों के अव्यवस्थितता और सप्लाई में अक्षमता की समस्याएं उभरती जा रही हैं। यह समस्या न केवल एक स्थानीय समस्या है, बल्कि यह एक उदाहरण है कि सरकारी सेवाओं की प्रदान को लेकर जनता की उम्मीदों की ध्वजा कैसे गिर रही है।
बिजली बोर्ड के अव्यवस्थित सेवाओं का प्रमुख कारण उसकी कमजोर संरचना और व्यवस्थापन की कमी है। अक्सर ग्राहकों को दिन में कई बार बिजली की सप्लाई में बाधाएं आती हैं, जिससे उनकी दिनचर्या प्रभावित होती है। इसके अलावा, बिजली बिलों के नियमित और समय पर भुगतान की मांग के बावजूद, ग्राहकों को नोटिसों के माध्यम से धमकाने की प्रथा भी चिंताजनक है।
इस समस्या को हल करने के लिए, सरकार को ग्राहकों की उम्मीदों को समझने और उन्हें बेहतर सेवा प्रदान करने के लिए निरंतर प्रयास करने की आवश्यकता है। बिजली बोर्ड को अपनी संरचना को मजबूत करने, संगठनात्मक बदलाव करने और तकनीकी उन्नति को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
साथ ही, ग्राहकों को भी अपने अधिकारों को जानने और उन्हें बिजली सप्लाई में अनियमितता की शिकायत करने के लिए सक्षम होना चाहिए। उन्हें भी सरकारी अधिकारियों और नेताओं से संपर्क करने का साहस दिखाना चाहिए ताकि उनकी आवाज सुनी जा सके और सेवाओं में सुधार की मांग की जा सके।
जनता की सरकार से मांग है कि वह इस तरह के अव्यवहारिक निर्णय को वापस ले