Editorial

Kejriwal:- *सुप्रीम_कोर्ट_ने_दी_अरविंद_केजरीवाल_को_बड़ी_राहत*

 

11 मई 2024- (#सुप्रीम_कोर्ट_ने_दी_अरविंद_केजरीवाल_को_बड़ी_राहत)–

देश की सर्वोच्च अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के जबरदस्त विरोध के बावजूद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को एक जून तक चुनाव प्रचार को आधार बनाते हुए शुक्रवार को जमानत दे दी है। स्मरण रहे केजरीवाल कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मनीलांड्रिंग केस मे गिरफ्तारी के बाद जेल मे बंद है। मेरी समझ मे चुनाव प्रचार को जमानत का आधार मानते हुए केजरीवाल को दी गई जमानत के दूरगामी परिणाम होगें। यह बात काबिलेगौर है कि वह अंतरिम जमानत पर एक जून तक जेल से बाहर रह सकेगें और दो जून को उन्हे जेल अधिकारियों के सामने समर्पण करना होगा। खैर इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामे मे चुनाव प्रचार को आधार मानते हुए अरविंद की जमानत का जबरदस्त विरोध किया था। ईडी का कहना था कि चुनाव प्रचार न तो मौलिक अधिकार है और न ही सवैधांनिक अधिकार। उनके अनुसार यह कानूनी अधिकार भी नहीं है। उन्होने तर्क दिया कि पिछले 5 वर्षों मे देश भर मे कुल 123 चुनाव हुए है। अगर चुनाव प्रचार के आधार पर जमानत दी जाने लगी तो न तो किसी नेता को गिरफ्तार किया जा सकेगा और न ही न्यायिक हिरासत मे रखा जा सकेगा। ईडी ने कहा इस प्रकार आम आदमी और नेताओं की अलग- अलग श्रेणियां बन जाएगी, जबकि कानून की नजर मे सब एक समान है। फिर आम आदमी से हटकर आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो से अलग व्यवहार कानून सम्मत नहीं होगा।

कोर्ट को प्रवर्तन निदेशालय के तर्क प्रभावित नहीं कर सके। जमानत के पक्ष मे जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि केजरीवाल कोई आदतन अपराधी नहीं है। चुनाव को उन्होने अभूतपूर्व परिस्थिति माना। अरविंद केजरीवाल का चुने हुए मुख्यमंत्री का होना भी उनके पक्ष मे गया। कोर्ट ने कहा है कि चुनाव 5 वर्ष मे एक बार होते है। उन्होने कहा कि अगर चुनाव न होते तो अंतरिम जमानत न दी जाती। इसका अर्थ है कि केजरीवाल की जमानत का एक मात्र आधार चुनाव प्रचार है। हालांकि मै कानून का जानकार नहीं हूँ लेकिन कल यदि इसी आधार पर हेमंत सोरेन, मनीष सिसोदिया और सतेन्द्र जैन भी जमानत मांगते है तो कोर्ट इन्कार नहीं कर सकता है। अभी तक भले जमानत के लिए चुनाव प्रचार कानूनी अधिकार नहीं था लेकिन केजरीवाल के जमानत आदेश के बाद यह कानूनी अधिकार जरूर बन गया है। भविष्य मे इसका क्या प्रभाव होगा उसकी समीक्षा कानूनविद जरूर करेगें।

#आज_इतना_ही।

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