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Chandigarh:*आर एल ए स्टाफ को दलाल रहे दिखा आंखें लाल जान माल का भय रहा सता*

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आर एल ए स्टाफ को दलाल रहे दिखा आंखें लाल जान माल का भय रहा सता
चंडीगढ़ :-–

26/5/24:— चंडीगढ़ प्रशासन का लाइसेंसिंग एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी के आफिसर्स और आफिशियल्स लंबे अरसे से दलालों के मकड़जाल का शिकार हो रहे हैं। सीबीआई और विजिलेंस कई बार इन दलालों पर शिकंजा कसती रही है। लेकिन लचर कानून व्यवस्था का लाभ उठाते हुए उक्त दलालों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती है। मिली जानकारी अनुसार दलालों की पहुंच प्रशासन से ऊपर रसूखदार पालिटिशयन से होने के चलते चंडीगढ़ में प्रशासन के शीर्ष अधिकारी चाह कर भी इन दलालो पर एक्शन नहीं ले पाते हैं। और अपने ही अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों पर भड़ास निकाल कर अपमान का घूंट पी कर रह जाते हैं। कुछ सप्ताह पूर्व आर एल ए के किसी अधिकारी को दलाल जो कि खुद को पुलिस के खुफिया तंत्र और सतर्कता अदायरे का मुखबिर बताता है ने हड़का दिया था कि अगर हमारे काम में मीन मेख की या हमारे कस्टमर्स की फाइलें क्लीयर नहीं कीं तो जल्दी ही नौकरी से हाथ धुलवा देंगे। पर आर एल ए अधिकारियों और कर्मचारियों ने एकजुटता से साफ, स्वच्छ और पारदर्शी कार्य प्रणाली बनाए रखे हुए हैं। हताशा और निराशा के चलते दलालों ने आर एल ए स्टाफ को बदनाम करने के लिए अनैतिक और असंवैधानिक हथकंडे अपना रहे हैं। खुद सीनियर पत्रकार ने लंबे समय से यहां की निगरानी करते हुए इसकी कार्यप्रणाली में अभी तक किसी भी प्रकार का दोष या संदेहास्पद कुछ नहीं पाया है। इस बाबत जब आर एल ऑथरिटी के आफिसर प्रदुमन जी से बात करनी चाही तो उनका फोन बिज़ी मिला। उक्त विभाग के अधिकारीयों और कर्मचारियों ने दलालों की जबरदस्ती आफिस में गुंडागर्दी और घुसपैठ को रोकने के लिए पुलिस के ला एंड आर्डर डीएसपी को मोबाइल पर जानकारी देकर कड़ा एक्शन लेने की सूचना देने के लिए सम्पर्क साधने की बार बार कोशिश की। पर नाकाम रहे। लोकसभा चुनाव के कारण डीएसपी खुद बड़े बिजी शेड्यूल में व्यस्त हैं। तत्पश्चात चंडीगढ़ पुलिस की एस एस पी महोदया को शिकायत प्रेषित की । आर एल ए के अधिकारियों और कर्मचारियों को ईमानदारी पारदर्शिता और निर्भीकता से अपनी ड्यूटी निभाना भी लोहे के चने चबाना सिद्ध हो रहे हैं। दलाल ऑन की ओछी हरकतों से चंडीगढ़ प्रशासन और चंडीगढ़ पुलिस, सतर्कता विभाग, सीआईडी और सीबीआईं सभी वाकिफ हैं पर नकेल कसने में कथित तौर पर राजनीतिक हस्तक्षेप भी आड़े आ जाता है।। ऐसे में दलालों से अधिकारियों कर्मचारियों को अपने जान माल की हानि का अलग से सताता है।।।

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