*हिमाचल प्रदेश के बिजली विभाग के फील्ड कर्मचारियों को मिले अधिक सुविधा* Dr Lekh Raj Khalet


हिमाचल प्रदेश के बिजली विभाग के फील्ड कर्मचारियों को मिले अधिक सुविधा

हिमाचल प्रदेश को एक दुर्गम और कठिन क्षेत्र माना जाता है यहां पर सड़क बनानी हो पुल बनाने हो, बिजली ले जाने हो ,पानी पहुंचाना ,या इलाज करवाना है सभी कुछ कठिन होता है। यहां के कर्मचारी विषम परिस्थितियों में अपनी कर्तव्य निष्ठा का परिचय देते हुए हर कार्य को अपने सामर्थ्य के और संसाधनों के अनुसार पूर्ण करने की कोशिश करते हैं बिजली हर राज्य की प्राथमिकता लिस्ट में होती है बिजली के बिना कोई भी कार्य चाहे वह सरकारी हो गया सरकारी हो या ग्रह का हो बिजनेस हो या फिर आप कोई फैक्ट्री चला रहे हो हर जगह बिजली की आवश्यकता रहती है ,और प्रदेश की शत प्रतिशत जनता बिजली से जुड़ी हुई है तथा इसमें जरा सी भी लापरवाही और बाधा जनता बर्दाश्त नहीं करती। बिजली के कट को सहन नहीं करती।
बिजली की लाइन आंधी तूफान या किसी आपदा से टूट जाए तो भी जनता की यही अपेक्षा रहती है कि शीघ्र अति शीघ्र बिजली चालू हो जाये ।अब समय वह आ गया है जब लोग एक घंटा भी बिजली के बिना रहना पसंद नहीं करते। हाां पहले बात कुछ और थी। प्रदेश के अधिकतर क्षेत्रों में बिजली नहीं थी और जहां बिजली थी वहां पर जब बिजली बाधित होती थी तो लोग एक दिन तक भी इंतजार कर लेते थे।अब लोगों की अपेक्षाएं बढ़ चुकी हैं ।
परंतु अब सरकार के हर महकमे में स्टाफ की कमी खल रही है आज अगर 1 घंटे के लिए बिजली चली जाए तो हाय तौबा हो जाती है और शिकायत सीधे मुख्यमंत्री तक पहुंच जाती हैं। इसी तरह से बिजली महकमे के स्टाफ से लोगों की अपेक्षाएं भी बहुत बड़ी है ।परंतु उनकी समस्याओं की ओर ना तो सरकार और ना ही जनता का सहयोग प्राप्त होता है। क्योंकि जहां एक ओर स्टाफ की कमी हुई है वहीं बिजली की लाइन बढ़ गई है उसकी मेंटेनेंस के लिए के लिए अधिक स्टाफ की आवश्यकता है। परंतू अब बिजली विभाग में बहुत कम लोग रह गए हैं ।सरकार को चाहिए कि बिजली विभाग में अधिक से अधिक स्टाफ की नियुक्ति की जाए उन्हें संसाधन युक्त किया जाए उन्हें जो सुविधा चाहिए वह दी जाये ताकि वह अपनी कर्तव्य का निर्वहन तत्वरित तरीके से कर सके। इसी विषय पर ट्राइसिटी टाइम्स के बहुत ही प्रबुद्ध लेखक और संपादक मंडल के सदस्य डॉक्टर लेखराज जी ने एक नोट लिखा है जो निबंध प्रकार से:-

सूद साहब! बिजली की ओवर लोडिंग को बचाने के लिए सभी सुझाव स्वागत योग्य हैं लेकिन उससे भी कहीं बड़ी बात है विभाग के कर्मचारियों के लिए ” जो इतनी गर्मी में मैं तो कहूंगा आग से तपते खंबे पर चढ़ कर हमारी परेशानियां दूर करने लगे हैं और सूद साहब इनके साथ सर्दियों में भी ऐसा ही है जब यही खंबे बर्फ के समान ठंडे होते हैं और बेचारे इस जिस्म को जला देने वाली गर्मी में भी और खून जमा देने बाली सर्दी में भी यही हमें राहत देते हैं और हम हैं कि जब बिजली जाए तो एक मिंट के लिए भी मन नही मारते हम ये क्यों नहीं सोचते कि इनके पास किलोमीटर्स में एरिया है और एक कंपप्लेंट के बाद इस कड़कती धूप या ऐसी ही सर्दी में कई किलोमीटर चल कर दूसरी कंपप्लेंट तक पहुंचते हैं तो थोड़ा हमें भी इनका साथ देना जरूरी नहीं बहुत ही जरूरी है , जब ये हमारे पास आते हैं तो इनको ठंडा पानी पूछो सर्दियों में चाय के लिए पूछो और बात ये भी है कि दुनिया कहां से कहां पहुंच गई , सभी विभागों में कई सुविधाएं मिली अगर वो बढ़ी नहीं तो छिनी भी नही आज के इस गतिशील युग में इन फील्ड वर्कर के लिए सरकार की तरफ से प्रत्येक सब स्टेशन या कंप्लेंट सेंटर में सुभिधानुसार एक या दो मोटर साइकिल होने चाहिए ताकि लोगों की कंपलेंट का निपटारा भी जल्दी हो जाए और इन्हे भी राहत हो , एक बात और लिखना चाहूंगा इस विभाग के फील्ड कर्मचारियों से तो सुविधाएं छीनी गई हैं , पहले इनको एक बेल्ट , एक टॉर्च , एक रेन कोट , लॉन्ग शूज और ग्लव्स मिलते थे मेरे ख्याल में अब ये सुविधाएं इनको उपलब्ध नहीं हैं , सरकार को विभाग को अब समयानुसार चलना जरूरी है और अब तो लगता है सुविधाएं एक तरफ अब तो स्टाफ भी पूरा नहीं और भर्तियां भी लगभग बंद आउटसोर्स से ही काम चलाया जा रहा है इनको ही नियमित कर दें तब भी इनको राहत और कंज्यूमर को भी राहत।