*क्या_कहते_हैं_तीर* Hemanshu Mishra
#क्या_कहते_हैं_तीर
#हेमांशु_मिश्रा
कांगड़ा जनपद में आषाढ़ महीने की संक्रांति के 8 दिन पहले और 8 दिन बाद तक के समय को #तीर कहते है । इस वर्ष यह आषाढ़ माह की संक्रांति 15 जून को आ रही है। यह पक्ष तीर नाम से जाना जाता है । इसमें बहुत गर्मी होती है, सभी कीड़े मकोड़े मर जाते हैं । बीमारी कम लगती है । यह #तीर हमे कई पूर्वानुमान लगाने में भी सहायक होते है। जितने यह तीर तपेंगे यानी गर्म होंगे उतनी ही अधिक बरसात होगी । यानी इन दिनों हिमाचल में पड़ रही भीषण गर्मी , heat wave तीरों में पड़ती ही थी, अब शायद हमारी गलत नीतियों के कारण तापमान में 3 डिग्री से 6 डिग्री तक बढ़ोतरी हुई होगी तो आप सब मान लीजिए कि बरसात भी 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत ज्यादा ही होगी । ये दावा मैं पारंपरिक तकनीकी ज्ञान Traditional technical knowledge या स्वदेशी तकनीकी ज्ञान (आईटीके) के आधार पर कर रहा हूं ।
पारंपरिक तकनीकी ज्ञान, किसी भी क्षेत्र या समुदाय के लोगों ने समय के साथ अनुभव के आधार पर विकसित किया होता है। मूलतः यह वर्षों के अनुभव पर आधारित है. स्थानीय उपयोग और पर्यावरण के लिए इसे अपनाया जाना अत्यधिक कारगर है।
आज सुबह कमरे के बाहर खिड़की से झांक रहा था तो एक गिलहरी को चीड़ की पत्तियां चलाफू चोंच में उठाये चक्कर लगाते देखा। एक बार पाँच छह चलाफू मुहँ में डालती कही ऊंची जगह में छोड़ आती । ऐसा परिश्रम सुबह एक डेढ़ घण्टा गिलहरी करती रही । आज नज़र पड़ी तो मैंने यह नोट कर लिया, मालूम नही गिलहरी कितने दिन यह परिश्रम करती रही होगा और कब तक करेगी।
गिलहरी को भी मालूम है कि बारिश से पहले अपने आशियाने को सुरक्षित करना है । अंग्रजी में भी कहावत है Make hay while the sun shine, और एक और है A stitch in time saves nine.
कांगड़ा जनपद में इन दिनों यानी #तीर को साफ सफाई के पखवाड़े के रूप में मनाते थे। अपने अपने घरों के चारों तरफ सभी अवरोध, सभी रुकावटें हटाई जाती थी ताकि पानी बहता रहे। पानी अगर रुकेगा तो नुकसान करेगा ही करेगा। फिर हम कहेंगे आपदा आ गयी ।
पानी के बहाव को पक्के रास्तों , तंग गलियों, कुहलों पर जाली डाल कर हमने रोकने का खूब प्रयास किया है, यह प्रयास अपनी सहूलियत को सोच था पर हमें क्या मालूम कि यह भी विनाश का कारण बन सकता है।
प्रश्न है कि इन तथाकथित विकास के उपायों से क्या पानी को हम वास्तव में रोक पाते हों या पानी अपनी दिशा बदलता है और पूरे वेग से किसी दूसरे हिस्से को बहा ले जाएगा।
इस लिए इन #तीर के बचे 11 दिनों में पारिवारिक समाजिक व सरकारी तौर पर हम बरसात से पहले की साफ सफाई की तैयारियों को war footing में पूरा कर सकते हैं । सभी जनप्रतिनिधियों, प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों, युवा व महिला मण्डलों के साथ साथ समाज सेवियों से करबद्ध निवेदन है कि मानसून अगले 11 दिन में हिमाचल पहुंच जाएगी, उससे पहले हमारे स्थानीय पारंपरिक ज्ञान ने जो सन्देश हमे दिया है, उसे मानते हुए पानी के सभी अवरोधों को खोलने में मदद करें । बरसात से पहले की पूरी तैयारियों को समय रहते मिशन मोड में पूरा कर लें। विद्यालयों, पंचायतों और स्थानीय निकायों को तुरंत अपनी इमारतों, कच्चे घरों , जर्जर मकानों , कुहलों की चिंता अभी के अभी करनी चाहिए। जंगलों की आग लगने से पहले जो पूर्व तैयारी रह गयी वो बरसात से पहले गलती न दोहराई जाए। ताकि अब की बरसात को हम आपदा नही जीवनदायिनी कह सकें।