*”दोस्ती जिन्दाबाद” :लेखक विनोद वत्स*

दोस्ती
जिन्दाबाद
दोस्त।
दोस्त ईमान हैं ।
दोस्त पहचान हैं।
दोस्त की सूरत में।
दिखे भगवान हैं।
दोस्त गंगा का पानी ।
दोस्त अमृत की वाणी।
दोस्त मिल जाये सच्चा।
जीत ली उसने जवानी।
दोस्त दुखो का साथी।
दोस्त जीवन की बाती।
दोस्त बचपन का मेला।
मेले में खुशियां गाती।
दोस्त दुश्मन से बचायें।
दोस्त बन ढाल वो आये।
दोस्त का नाम भरोसा।
जो तोड़े वो पछताये।
दोस्त सूरज और चंदा।
दोस्त हैं रब का बन्दा।
दोस्त से घर में खुशियां।
चलाये दुखो पे रंदा।
दोस्त में सारे रिश्ते।
दोस्त यारी पे बिकते।
दोस्त हो कर्ण के जैसा।
जान दी हँसते हँसते।
दोस्त हो जिसके सच्चे।
दोस्त हो जिसके अच्छे।
दुखो के कीचड़ में भी।
ना कोई दे पाये गच्चे।
दोस्त हैं मेरे हीरे।
चले संग युमना तीरे।
वो जाने में हूँ सुदामा।
कृष्ण वो मेरे वीरे।
विनोद शर्मा वत्स