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*हिमाचल और पंजाब के बीच टैक्सी वालो,बाइक,झंडों को लेकर हो रहा तनाव दोनों मुख्यमंत्री मस्त नहीं कर रहे किसी का बचाव*

शायद दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्री तब जाएंगे जब कोई बड़ा हादसा हो जाएगा अभी शुरुआत में ही अगर वह पुलिस और संबंधित विभाग को आदेश जारी करें तो इस तरह के तनाव से बचा जा सकता है जो आगे चलकर एक बहुत बड़े विवाद और तनाव का कारण बन सकता है

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*हिमाचल और पंजाब के बीच बाइक पर लगे झंडों व टैक्सी वालो को लेकर हो रहा तनाव दोनों मुख्यमंत्री मस्त नहीं कर रहे किसी का बचाव आम लोग हो रहे परेशान  लोगों में तनाव 

Tct chief editor

अभी 2 दिन पहले ही पंजाब के भरतगढ़ शहर में मंडी से चंडीगढ़ सवारियां लेकर जा रहे मंडी के टैक्सी चालक के साथ मारपीट और टैक्सी को तोड़ने का मामला सामने आया है

हिमाचल और पंजाब के बीच आजकल टूरिस्ट का आना-जाना बहुत बढ़ जाता है परंतु कुछ श्रापित शरारती तत्व जानबूझकर कुछ ऐसा कार्य करते हैं जिससे कि तनाव बढ़े और दोनों राज्यों के बीच कड़वाहट को तूल मिले ।

इन दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री को आपस में मिल बैठकर बातचीत करके इस समस्या का हल करना चाहिए उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह दोनों राज्य न केवल पड़ोसी हैं बल्कि एक दूसरे की आर्थिक स्थिति में दोनों ही राज्यों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है यदि आप बात करें चंडीगढ़ मोहाली जीरकपुर या अन्य शहरों की तो वहां पर आपको ज्यादा नहीं तो कम से कम 30% व्यापार का हिस्सा हिमाचलियोों का मिल जाएगा फ्लैट्स मिल जाएंगे और पंजाब के सभी कॉलेज तथा शैक्षणिक संस्थान में हिमाचल के बच्चों की बहुत अधिक भागीदारी है इंडस्ट्री ले लो या रियल एस्टेट ले लो इन सभी में हिमाचलियों का बहुत बड़ा योगदान है जल संसाधन दोनों राज्यों की सहमति पर निर्भर हैं बिजली पानी और आर्थिक स्थिति दोनों राज्यों को एक दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता है। इस छोटे से विवाद को कुछ अवांछित तत्व तूल दे रहे हैं और दोनों ही राज्यों के मुख्यमंत्री को इस विषय पर मिल बैठकर बातचीत करनी चाहिए और शीघ्र आती शीघ्र इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए वरना यह कड़वाहट बढ़ती ही जाएगी

पंजाब और हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुए टैक्सी ड्राइवरों के विवाद ने एक नई चुनौती का सामना करवाया है, जहां स्थानीय अलगाववादी तत्वों को बढ़ावा मिल रहा है। यह विवाद न केवल समाज में कड़वाहट ला रहा है, बल्कि दोनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के बीच भी राजनीतिक दलील की गहराई में दरारें पैदा कर रहा है।

इस स्थिति में, सामाजिक और राजनीतिक मंचों पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है। दोनों प्रदेशों के नेताओं को उनकी प्राथमिकताओं को समझने और समाधान ढूंढने के लिए संवेदनशील तरीके से काम करना होगा।

हमें यह याद रखना चाहिए कि उचित समाधान और सहमति बनाने के लिए समय और उपयुक्त मंचों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। राज्य सरकारों को सक्रिय रूप से सामाजिक समझौते को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करना चाहिए, ताकि आम लोगों के जीवन में शांति और सद्भावना बनी रहे।

इस संदर्भ में, हमें नेताओं से अपील है कि वे सावधानीपूर्वक कार्रवाई करें और विवादित मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने के लिए सक्रिय रहें। वे इस समस्या को गंभीरता से लें और बड़े हादसों से पहले समस्या को सुलझाने के प्रयास करें, ताकि सामाजिक सुरक्षा और एकता में स्थिरता बनी रहे।

अंत में, हम सभी को सहमत होने की दिशा में प्रयासरत रहना चाहिए, ताकि हमारी समाजवादी संरचना को बल मिल सके और हम सभी एक समृद्ध, सुरक्षित और संघर्षरहित भविष्य की दिशा में अग्रसर हो सकें।

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