सरकारी संपत्तियों की दुर्दशा और उनका सुधार
वर्तमान समय में सरकारी संपत्तियों की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। करोड़ों की संपत्तियां अव्यवस्था और लापरवाही के कारण बुरी हालत में हैं, और इनमें रहने या काम करने के लिए कोई इच्छुक नहीं है। उदाहरणस्वरूप, पालमपुर में स्थित डीएसपी का ऑफिस एक प्राइम लोकेशन पर है, लेकिन वह खंडहर में तब्दील हो चुका है और अब एक ग्रीन गार्डन बन गया है। इस संपत्ति की देखभाल और रखरखाव की जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं है।
यह एक सामान्य समस्या बन चुकी है कि सरकारी अधिकारी केवल अपनी सैलरी तक सीमित रह जाते हैं और सरकार की आमदनी बढ़ाने के बारे में नहीं सोचते। इसके परिणामस्वरूप, सरकारी संपत्तियां बिना उपयोग के बेकार पड़ी रहती हैं और उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जाती है।
यदि इन संपत्तियों को प्राइवेट पार्टी को लीज पर दे दिया जाए, तो इससे सरकार को अच्छा-खासा राजस्व प्राप्त हो सकता है। उदाहरण के लिए, डीएसपी के ऑफिस को किसी निजी संस्था को किराए पर देने से हर महीने हजारों रुपए की आय हो सकती है। यह न केवल संपत्ति की देखभाल सुनिश्चित करेगा, बल्कि सरकारी राजस्व में भी वृद्धि करेगा।
सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले, एक व्यापक सर्वेक्षण करना चाहिए जिससे यह पता चल सके कि कौन-कौन सी सरकारी संपत्तियां उपयोग में नहीं आ रही हैं और उनकी स्थिति क्या है। इसके बाद, इन संपत्तियों को उचित रखरखाव के साथ प्राइवेट सेक्टर को लीज पर देना चाहिए। इससे एक तरफ संपत्तियों का सही उपयोग होगा और दूसरी तरफ सरकारी खजाने में वृद्धि होगी।
सरकार में व्यवसायिक दृष्टिकोण वाले अधिकारियों की नियुक्ति भी एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। ऐसे अधिकारी जो न केवल अपनी सैलरी के बारे में सोचें बल्कि सरकारी संपत्तियों और संसाधनों का सही उपयोग कर राजस्व बढ़ाने की दिशा में कार्य करें।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि सरकारी संपत्तियों की दुर्दशा को सुधारने के लिए एक संगठित और व्यवसायिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। इससे न केवल संपत्तियों की स्थिति में सुधार होगा, बल्कि सरकार की आय में भी महत्वपूर्ण वृद्धि होगी, जो देश के विकास में सहायक सिद्ध होगी।
ऐसा नहीं है कि पालमपुर में ही है इकलौता ऐसा भवन है अन्य कई ऐसे भवन है जिसे लाखों नहीं करोड़ों रुपए की आय हो सकती हैं और वह इस बुरी हालत में पड़े हैं कि उन्हें देखने संभालने वाला कोई नहीं केवल खंडहर बनते जा रहे हैं ।भवन की बात छोड़िए यदि इन जगहों को किसी व्यापारिक संस्थान को लीज कर दिया जाए तो करोड़ों की इनकम हो सकती है परंतु व्यावसायिक दृष्टिकोण ने और सरकार आय के संसाधन बढ़ाने के बारे में कौन सोचे?
आप पालमपुर की बात छोड़िए पूरे हिमाचल में पूरे देश में ऐसे संपत्तियां हैं ऐसे जमीने है जिसे लाखों करोड़ों या अरबों की आय हो सकती है और सरकार का एक पैसा भी खर्च नहीं होगा। ट्राइसिटी टाइम्स तथा HR मीडिया ग्रुप इस मुद्दे पर के बार लिख चुका है परंतु नकारखाने में तूती की कौन सुनता है?