*हमारे_राजनेताओं_को_पराजय_को_स्वीकार_करना_सुनक_से_सीखना_चाहिए* महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री*



15 जुलाई 2024– (#हमारे_राजनेताओं_को_पराजय_को_स्वीकार_करना_सुनक_से_सीखना_चाहिए)-

हार और जीत चुनाव और खेल के अभिन्न अंग है। एक की जीत तभी होगी जब दूसरे की हार होगी। मेरी समझ मे जीत का उत्सव मनाना बहुत ही सरल है लेकिन हार को शालीनता से स्वीकार करना उतना ही मुश्किल है। अभी हाल ही मे सम्पन्न तीन उपचुनावों मे कांग्रेस ने दो और भाजपा ने एक सीट पर जीत हासिल की है। इस हार पर प्रतिक्रियास्वरूप भाजपा के एक प्रदेश पदाधिकारी ने कहा कि कांग्रेस ने धनबल और पुलिस बल का प्रयोग कर जीत हासिल की है। उन्होने कहा कि जनप्रतिनिधियों को डराया-धमकाया गया और चुनाव मे धनबल और दारू का जमकर प्रयोग हुआ है। मै उनके आरोपो को नकार नहीं रहा हूँ लेकिन एक प्रश्न जरूर खड़ा कर रहा हूँ कि वह आरोप चुनाव के निर्णय आने के बाद ही क्यों लगा रहे है अगर यह सब कुछ उनकी जानकारी मे था तो उन्हे अपने इन आरोपों को मतदान के तुरंत बाद सार्वजानिक करना चाहिए था। दुसरा यदि कांग्रेस यह सब कुछ कर जीत सकती थी तो वह यह सब कुछ हमीरपुर मे भी कर सकती थी।
मेरे विचार मे इस प्रकार की प्रतिक्रिया देने वाले पदाधिकारियों को ॠषि सुनक से सीख लेनी चाहिए। पिछले सप्ताह यूनाइटेड किंगडम मे संसद के लिए हुए चुनावों मे ॠषि सुनक और उनकी कंजरवेटिव पार्टी हार गई। हार के बाद वह विनम्र थे। उन्होने मतदाताओं से कहा कि मै आपका गुस्सा समझ सकता हूँ। मै अपने अच्छे और मेहनती उम्मीदवारों की हार की जिम्मेदारी लेता हूँ। हम हार की समीक्षा कर भविष्य के लिए अपने आप को तैयार करने का प्रत्यन करेगें। मेरे विचार मे उनके इस विनम्रतापूर्वक ब्यान से हार के बावजूद सुनक का कद कई पायदान ऊपर चला गया। मुझे लगता है कि हिमाचल प्रदेश मे हालांकि यह नहीं कहा जा सकता कि उपचुनावों मे भाजपा को कोई बड़ा नुकसान हुआ है। भाजपा ने तीन सीटें बढ़ाई और एक राज्यसभा सीट भी जीती है, लेकिन भाजपा की रणनीति के चलते उन्हे चुनी सरकार को गिराने, तीन निर्दलीय विधायकों से त्यागपत्र दिलवाने और 6 विधायकों को पूर्व विधायक बनवाने का अपयश जरूर मिला है। मेरी राय मे भाजपा को अपनी रणनीति की समीक्षा कर अपने को भविष्य के लिए तैयार करना चाहिए।
#आज_इतना_ही।
