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19 जुलाई 2024– (#उत्तर_प्रदेश_भाजपा_मे_सब_ठीक_नही)–
प्रतिष्ठित अंग्रेजी दैनिक के सम्पादकीय के अनुसार देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश मे सत्तारूढ दल मे सब ठीक नहीं चल रहा है। स्मरण रहे उत्तर प्रदेश राजनैतिक तौर पर सबसे महत्वपूर्ण प्रदेश है। जहां से 80 लोकसभा के सदस्य चुन कर जाते है। भाजपा नेतृत्व का उत्तर प्रदेश के लोकसभा परिणामों को लेकर चिंतित होना स्वभाविक है, क्योंकि हाल ही मे सम्पन्न लोकसभा के परिणाम उत्तर प्रदेश मे भाजपा नेतृत्व की अपेक्षा के अनुरूप नही रहे है। भाजपा केवल 33 सीटें जीत सकी है जबकि 2019 मे वह 62 सीटें जीतने मे सफल रही थी। आज-कल उत्तर प्रदेश को लेकर पार्टी मंथन कर रही है। इस मंथन के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि कमजोर परफॉर्मेंस के लिए शिफ्टिंग ऑफ वोट और अतिआत्मविशवास जिम्मेदार है, जबकि उप-मुख्यामंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पार्टी को सरकार से बड़ा बताया। मिडिया रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री अदित्यानाथ योगी और पिछड़ा राजनीति के ध्वज वाहक केशव मौर्य के बीच शीतयुद्ध चल रहा है। मौर्य और उनके सहयोगी उत्तर प्रदेश की चुनावों मे कमजोर परफॉर्मेंस के लिए योगी के नेतृत्व को जिम्मेदार ठहरा रहे है।
मेरी समझ मे चुनाव के परिणामों के पीछे स्थानीय कारण हो सकते है। चुनावों मे परफॉर्मेंस कमजोर होने के कारणों की विवेचना भी होनी चाहिए, लेकिन किसी राजनैतिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किसी को टार्गेट करना ठीक नहीं है। मेरे विचार मे अदित्यानाथ योगी देश के अच्छे मुख्यमंत्रियों मे से एक है। उन्होने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने मे जबरदस्त सफलता हासिल की है। बिना भेदभाव के विकास किया है। उन पर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं है। उनकी लोकप्रियता उत्तर प्रदेश से बाहर भी सारे देश मे है। देश भर मे बड़ी संख्या मे लोग उन्हे मोदी के विकल्प के तौर पर देखने लगे है। मेरे विचार मे भाजपा नेतृत्व को उन्हे अपने आपको साबित करने का समय देना चाहिए। यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि आने वाले समय मे उत्तर प्रदेश मे 10 विधान सभा क्षेत्रों के उपचुनाव होने जा रहे है। मेरी समझ मे वह एक अवसर होगा जब उत्तर प्रदेश भाजपा विशेषकर मुख्यमंत्री अदित्यानाथ योगी अपने को साबित कर सकते है और अपनी खोई राजनैतिक जमीन वापस ले सकते है।
#आज_इतना_ही।