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*ममता_बनर्जी_बांग्लादेशियों_को_पश्चिम_बंगाल_आने_और_रहने_के_लिए*

 

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23 जुलाई 2023–(#ममता_बनर्जी_बांग्लादेशियों_को_पश्चिम_बंगाल_आने_और_रहने_के_लिए _प्रोत्साहित_कर_रही_है)–

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बंगलादेशी हमारा दरवाजा खटखटाएंगे तो हम उन्हे शरण देंगे। यह ब्यान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का है। उन्होने आगे कहा कि वह बंगलादेशियों के लिए अपने दरवाजे खुले रखेगी और उन्हे शरण देंगी। स्मरण रहे बंगलादेश आज कल जबरदस्त छात्र असंतोष का सामना कर रहा है। वहां के छात्र बेरोजगारी और 1971 के युद्ध के भागीदारो के रिश्तेदारो के लिए दिया जा रहे सरकारी नौकरी मे 30% आरक्षण का विरोध कर रहे है। हालांकि 2018 मे छात्र आन्दोलन के चलते यह आरक्षण निरस्त कर दिया गया था जिसे इसी वर्ष जून मे हाईकोर्ट ने बहाल कर दिया है। यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि हाईकोर्ट ने इस असंतोष के चलते आरक्षण को घटा कर 5% कर दिया है, फिर भी वहां पर आन्दोलन और खूनी झड़पों के चलते 100 अधिक लोगों की मौत हो गई है। खैर ममता वहां के लोगो को मानवीय आधार पर शरण देने की बात कर रही है।

मेरी समझ ममता के ब्यान बंग्लादेशियों को पश्चिम बंगाल का रूख करने के लिए प्रेरित करेगें। ममता यह खेल मानवीय आधार पर नहीं अपितु राजनैतिक कारणों से खेल रही है। ममता पर पहले भी रोहंगिया मुसलमानो और बंगलादेश के घुसपैठियों को संरक्षण देने के आरोप लगते रहे है। असल मे यह घुसपैठिए या शरणार्थी जब एक बार भारत मे आ जाते है तो यह लोग यहां से वापस नहीं जाते और जुगाड़ कर राशन कार्ड धारक,आधार कार्ड धारक, वोटर और फिर नागरिक बन जाते है। पश्चिम बंगाल मे यह लोग अधिकतर ममता बनर्जी के वोटर और समर्थक है।

वोट के स्वार्थ के चक्कर मे ममता देश हित की अनदेखी कर इस तरह की ब्यानबाजी कर रही है। यह बात भी काबिले गौर है कि भारत और बंगला देश संप्रभु राष्ट्र है और छात्र असंतोष बंग्लादेश का अन्दरूनी मामला है। उस पर हमारी टिप्पणी करना उचित नहीं है। वैसे भी ऐसे संवेदनशील मामले पर बोलने का अधिकार केन्द्रीय सरकार के पास है। शरण या वीजा देना भी केंद्र का अधिकार क्षेत्र है। अगर ममता बनर्जी बंग्लादेशी घुसपैठियो को बिना केन्द्रीय सरकार की अनुमती के आश्रय देती है तो केन्द्रीय सरकार को ममता और उनकी सरकार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। मेरे विचार मे केन्द्रीय सुरक्ष दलों को चौकस होकर सीमाओं की निगरानी करनी चाहिए और किसी को देश मे घुसने नहीं देना चाहिए। भारत कोई धर्मशाला नहीं है भारतीयों का देश है इसलिए ऐसे मामलों मे सरकार और हम सब को सजग रहने की जरूरत है।

#आज_इतना_ही।

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