पर्यटन गाँव की स्थापना: बंजर भूमि में विकास का नया अध्याय*


*पर्यटन गाँव की स्थापना: बंजर भूमि में विकास का नया अध्याय**

हमारे देश में अनेक बंजर और उपेक्षित क्षेत्र हैं, जो अपने संभावित विकास की राह देख रहे हैं। ऐसे ही एक प्रयास के तहत पर्यटन गाँव की स्थापना का विचार सामने आया है। यह पहल न केवल स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए द्वार खोलेगी, बल्कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ करेगी। विश्व विद्यालय के पास जितनी भी जमीन है वहां सरकार द्वारा दी गई है तथा इस जमीन का 50% हिस्सा भी इस्तेमाल नहीं हो रहा है झाड़ियां उगी हुई हैं शोध कार्य का नामोनिशान नहीं है ।
स्थानीय विश्वविद्यालय के पास अपने कर्मचारियों को समय पर वेतन देने के लिए धन की कमी हो रही है, और वृद्ध कर्मचारियों के चिकित्सा बिल वर्षों से लंबित हैं। अगरा इस टूरिज्म विलेज की स्थापना होती है तो इस विलेज से होने वाली आय का कुछ हिस्सा निश्चित रूप से विश्वविद्यालय को दिया जाना चाहिए ताकि उसकी आर्थिकी सुदृढ़ हो सके ऐसे में पर्यटन गाँव की स्थापना से रोजगार के अवसर सृजित होंगे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को संजीवनी मिलेगी।
पर्यटन गाँव की अवधारणा में स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित रखते हुए उन्हें विश्व पटल पर प्रदर्शित करना शामिल है। इससे न केवल स्थानीय लोगों को अपनी संस्कृति पर गर्व महसूस होगा, बल्कि बाहरी पर्यटकों को भी इस क्षेत्र की समृद्ध धरोहर को जानने का अवसर मिलेगा।
इस पहल की सफलता के लिए हमें मिलकर कार्य करना होगा। सरकारी और निजी क्षेत्रों के सहयोग से इस परियोजना को साकार करना संभव होगा। पर्यटन गाँव की स्थापना से न केवल बंजर भूमि में हरियाली आएगी, बल्कि यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी प्रगति करेगा।
आइए, हम सब मिलकर इस पर्यटन गाँव की स्थापना को सफल बनाएं और इस क्षेत्र को विकास की नई ऊँचाइयों पर पहुँचाएं। यह कदम न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक प्रेरणादायी उदाहरण होगा।