*कांग्रेस_शासित_राज्यों_के_मुख्यमंत्रियों_द्वारा_नीति_आयोग_की_बैठक_का_बहिष्कार_का_कोई_औचित्य_नहीं : महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार*
26 जुलाई 2024-(#कांग्रेस_शासित_राज्यों_के_मुख्यमंत्रियों_द्वारा_नीति_आयोग_की_बैठक_का_बहिष्कार_का_कोई_औचित्य_नहीं)–
प्रतिष्ठित अखबार मे छपी रिपोर्ट के अनुसार कल होने वाली नीति आयोग की बैठक का कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री बहिष्कार कर सकते है। कांग्रेस पार्टी केन्द्रीय बजट से नाराज है। इस कारण बहिष्कार किया जा रहा है और इसकी जानकारी कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया के माध्यम से सार्वजानिक की है। स्मरण रहे इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री जी करने वाले है और वित्त मंत्री भी इस बैठक मे उपस्थित रहने वाली है। इस बैठक मे हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू भाग लेगें या नहीं इस पर भी संशय बना हुआ है। यह बात काबिलेगौर है कि नीति आयोग का गठन योजना आयोग के विकल्प के रूप मे किया गया था। हालांकि इसकी कार्यप्रणाली मे कुछ बदलाव भी किए गए है, लेकिन नीति आयोग भी योजना आयोग की तर्ज पर राज्य सरकारों के प्रस्तावों का अवलोकन कर अपनी सिफारिशे केन्द्रीय सरकार को भेजता है।
मेरी समझ मे कांग्रेस बजट की नाराजगी के प्रोटेस्ट के लिए कोई और माध्यम चुन सकती थी, लेकिन उन्होने नीति आयोग का बहिष्कार कर प्रोटेस्ट करने का निर्णय लिया है जिसका कोई औचित्य नहीं है। मेरे विचार मे यह बैठक प्रदेशों के लिए अपनी बात कहने का अवसर है। सबसे बड़ी बात है कि इसमे प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री उपस्थित रहने वाले है यह एक सुनहरी अवसर है अपना पक्ष रखने के लिए। मुझे लगता है हिमाचल के मुख्यमंत्री को यह अवसर गंवाना नहीं चाहिए। मुख्यमंत्री जी का यह कहना कि हमने अपना ड्राफ्ट नोट भेज दिया है तर्क संगत नहीं है। ड्राफ्ट नोट और उपस्थित हो कर अपना पक्ष रखने मे बहुत अन्तर है। मुझे लगता है कि बैठक का बहिष्कार करने से प्रदेश का नुकसान हो सकता है। मेरे विचार मे नीति आयोग की बैठक मे हिस्सा न लेने के नाम पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और मुख्यमंत्री जी को प्रदेश हित मे नीति आयोग की बैठक मे हिस्सा लेना चाहिए।
#आज_इतना_ही।