*जल शक्ति विभाग का अन्याय: एक गांव वासी की गुजारिश*
मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के नाम खुला पत्र। डॉ लेखराज
जल शक्ति विभाग का अन्याय: एक गांव वासी की गुजारिश
मैं जल शक्ति विभाग से अनुरोध करता हूँ कि वे अपना दोगलापन हम गांव वासियों पर न थोपें। जब से हमारे गांव को पालमपुर नगर निगम में शामिल किया गया है, हमें हर तरह की मुश्किलें आ रही हैं। पानी का बिल, जो पहले सालाना 600 रुपये था, अब सीधे 1650 रुपये कर दिया गया है। यह क्यों? क्या पानी अब आरओ से होकर आ रहा है या विभाग ने कोई बड़ा सुधार किया है? और अगर ऐसा है, तो लोगों पर इसका बेमतलब बोझ क्यों?
मैं बताता चलूँ कि 80 के दशक में जब हमारे घरों में पब्लिक टैप लगाए गए थे, तो यह हमारे लिए एक चमत्कार था। तब इसका शुल्क एक रुपया प्रति माह था और पानी 24 घंटे उपलब्ध था। अब शहर में बिल 650 रुपये है, तो हम गांव वासियों पर एक हजार का अतिरिक्त बोझ क्यों?
इसके अलावा, बिजली विभाग द्वारा गांवों में लगाए गए बिधुतिकृत पंपों का शुल्क कमर्शियल रेट पर लगाया जाता है, जो सही नहीं है। यह शुल्क घरेलू रेट पर होना चाहिए। अब बिल ऑनलाइन होने वाले हैं, लेकिन विभाग का कार्यालय बाजार से बाहर है, जो कि एक बड़ी दिक्कत है। मैं विभाग से अनुरोध करता हूँ कि वे अपने कार्यालय को फिर से मिनी सेक्ट्रेयट में शिफ्ट करें ताकि लोगों को बिल देने में आसानी हो।
Editors comment
एडिटर के कमेंट्स:
जल शक्ति विभाग के दोगलेपन का यह मामला गंभीर चिंता का विषय है। गांव वासियों पर अतिरिक्त बोझ डालना न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि यह उनकी आर्थिक स्थिति को भी प्रभावित करेगा। विभाग को अपनी नीतियों में सुधार करना चाहिए और गांव वासियों के हितों का ध्यान रखना चाहिए।
इसके अलावा, बिजली विभाग द्वारा गांवों में लगाए गए बिधुतिकृत पंपों का शुल्क कमर्शियल रेट पर लगाना भी अनुचित है। यह शुल्क घरेलू रेट पर होना चाहिए ताकि गांव वासियों पर अतिरिक्त बोझ न पड़े।
विभाग को अपने कार्यालय को फिर से मिनी सेक्ट्रेयट में शिफ्ट करना चाहिए ताकि लोगों को बिल देने में आसानी हो। यह न केवल गांव वासियों के लिए सुविधाजनक होगा, बल्कि यह विभाग की छवि को भी सुधारेगा।
हमें उम्मीद है कि जल शक्ति विभाग इस मामले पर ध्यान देगा और गांव वासियों के हितों का ध्यान रखेगा।