*#डैन_कुंड_से_डायना_पार्क #हेमांशु_मिश्रा*
#डैन_कुंड_से_डायना_पार्क
#हेमांशु_मिश्रा
कांगड़ा जिला की उत्तरी सीमा पर धौलाधार पर्वत श्रृंखला असीम रहस्य अपने अंदर समेटे है । यह पर्वत श्रृंखला डलहौज़ी से शुरू हो कर छोटा एवम बड़ा भंगाल तक पहुंचती है।
आज मै धौलाधार के दो कोनों में स्थित दो जगहों डैन कुंड और डायना पार्क (घोघरा धार) की करूँगा।
डलहौजी बस स्टैंड से 12 किमी की दूरी पर, #डैनकुंड स्थित है इसकी ऊंचाई 2755 मीटर है।
#डैनकुंड मतलब डायनों के पानी का स्त्रोत। जन श्रुति के मुताबिक यह चोटी डायनों यानी चुड़ैलों का निवास स्थान थी। कांगड़ा पठानकोट आदि से मुसाफिर इस जगह से चम्बा की तरफ पैदल जाते थे और यहाँ रहने वाली डायने उन्हें लूट लेती थी । राक्षस प्रवृति बढ़ने पर जब जनता ने ईश्वर को याद किया तो #डैनकुंड में भयंकर भूकम्प आया और बड़े पत्थर फट गए उन पत्थरों से माँ काली देवी स्वरूप में प्रकट हुई , माता ने पहलवानों की तरह युद्ध किया और सभी राक्षस डायने बिल्कुल समाप्त हो गयी। तब से पोहलानी माता के रूप में देवी की यहां पूजा की जाती है। यहाँ पोहलानी माता का मंदिर है जिसमे छत नही है।
वहीं धौलाधार के दूसरे छोर में बरोट छोटा भंगाल जाते हुए झटिंगरी से एक रास्ता घोघरा धार #डायना_पार्क को जाता है। यह स्थान मंडी जिले का बहुत सुंदर स्थान है । झटिनगिरी कटिन्डी रास्ते मे हिमरी गंगा के किनारे एक भयावह वृक्ष है जो उल्टा दिखता है, या मानो इसकी जड़ें ऊपर की ओर हों। कई बुजर्ग बताते है कि आकाशीय बिजली गिरने के कारण इस पेड़ की ऐसी दशा है। इसी पेड़ के कुछ ऊपर जा कर #डायना_पार्क नाम की जगह है।
जन श्रुति यह है कि भादो यानी काले महीने की अमावस्या को डायन वांस कहते हैं और इस रात को यहाँ #डायना_पार्क में देवता और डायनों का युद्ध आज भी होता है।
यदि देवता युद्ध जीतते तो फसल आदि की हानि का भय रहता और यदि डायनें जीततीं तो प्रजा को लाभ होता फसल अधिक होती है, लेकिन मनुष्यों में रोग बढ़ जाते है, मृत्यु दर भी बढ़ जाती हैं ।
वास्तव में डैन कुंड से डायना पार्क के बीच फैले धौलाधार की भूगोलीय स्थिति भी कही इन अभिशापित नामों के नामकरण के लिए जिम्मेवार हो सकती हैं ।
धौलाधार के क्षेत्र में भाद्रपद महीने को काला महीना या भादों के नाम से जाना जाता है। धौलाधार की वशिष्ट भूगोलीय स्थिति के कारण मानसून की भारी बारिश इस क्षेत्र में होती थी, अतिवर्षा के कारण इन दिनों जिंदगी बहुत ही कठिन होती थी तभी कांगड़ा जनपद में नव विवाहिताओं को इस महीने मायके जाने का रिवाज यहाँ था, घर के बाहर दीपक जलाने की प्रथा थी ।
अतिवर्षा के कारण लोगों का आपस मे सम्पर्क भी नही होता था, जान माल का नुकसान बहुत होता था, ऐसे में धौलाधार के दोनों छोरो में #डैनकुंड व #डायना_पार्क नामक दो स्थान जहाँ डैन वांस को लेकर एक जैसी कहानियां है के पीछे के तथ्य और गहराई में समझने पड़ेंगे।
ये दोनों स्थान अब महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है। इनके नाम ही पर्यटकों को आकर्षित करते है ।