*ये कैसा दर्शन जहां इंसाफ के लिए भी प्रदर्शन* लेखक डॉ लेख राज
ये कैसा दर्शन जहां इंसाफ के लिए भी प्रदर्शन
जी ! डाक्टर मौमिता देवनाथ का दुराचार के बाद बहुत बेरहमी से कतल कर दिया गया और अपने आपको बचाने के लिए उसने जो संघर्ष किया उस संघर्ष से लेकर अपनी जान गंवाने तक का समय किस भयावह स्थिति में गुजारा होगा उसकी कल्पना मात्र से हमारे ही रोंगटे खड़े हो रहे हैं तो उस पर क्या बीती होगी इससे तो दर्द को भी दर्द हुआ होगा , अब सवाल ये भी उठता है कि डाक्टर मौमिता की रात की ड्यूटी थी और बाकी साथियों के साथ खाना खाने के बाद वो कांफ्रेंस रूम में कैसे पहुंची क्या ये सोची समझी चाल थी किसी साजिश के तहत उसे वहां बुलाया गया या ये सारी घटना कहीं और हुई और बाद में उसके मृत शरीर को वहां लाया गया और शरीर पर इतनी सारे जख्मों के बाद ऐनक के शीशे टूटने से उसकी आंखों में भी खून था इस सबके बावजूद अगर पुलिस इसको आत्महत्या बता कर पल्ला झाड़ना चाहे तो ये बात किसके गले उतरेगी , जबकि एक अपराधी कहो या बलात्कारी पकड़ा जा चुका है , सी सी टी वी फुटेज में वो है फिर किस दवाब से अभी और अपराधी क्यों नहीं पकड़े जा सके अगर साथ थे और क्यों इंसाफ के लिए प्रदर्शन और रैलियों की जरूरत पड़ रही है और खास बात ये कि इन रैलियों में डाक्टरों के साथ आम जन मानस और कानून के ज्ञाता वकील लोग भी हैं , स्टेट की मुख्यमंत्री महिला है और वो महिला होते हुए भी इस प्रकरण को गंभीरता से नहीं ले रही, इन रोष रैलियों के बाद ये केस सी बी आई को सौंप दिया गया , अब सी बी आई इस जघन्य अपराध के अपराधियों को कितनी जल्दी ढूंढ निकालती है , स्वालिया निशान तो इस पर भी रहेगा ही , मेरे ख्याल में बलात्कार के बाद हत्या के हजारों ऐसे केस होते होंगे तो सैंकड़ों में ही सामने आते हैं और न्याय के लिए रोष रैलियां, बंद और कैंडल मार्च , अब सवाल उठता है कि हमारा कानून , हमारी न्याय व्यवस्था इतनी लचर और सुस्त है कि बहुत सारे फैसलों के लिए लोगों को सड़कों पर उतरना पड़ता है और ब्लातकारियों के लिए सख्त से सख्त कानून की मांग की जाती है और ये फैसला तुरंत आना चाहिए और मेरा सभी वकील भाइयों से भी गुजारिश रहेगी कि ऐसे केसों की वो पैरवी ही न करें , निर्भया केस में भी फैसला आने में सालों लगे , फांसी की सजा में भी बहुत लंबा समय लगता है लेकिन इस बात की चर्चा एक या दो दिन ही रहती है फिर बात आई गई हो जाती है, इसके लिए सबसे बड़ी सजा ब्लातकारी के हाथ ही काट दिए जाएं ये फांसी से भी दर्दनाक सजा हो सकती है इसको देख कर किसी दूसरे के करने की बात तो दूर की सोचने से भी डरेगा , ये मेरी सोच है करने बाली तो सरकार और न्यायपालिका है , सोचना तो गंभीरता से ही पड़ेगा तभी बहु बेटियां सुरक्षित रहेंगी