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*मै_लड़की_हूँ_लड़_सकती_हूँ* :-*Editorial by Mahendra Nath Sofat Ex Minister*

पूनम ग्रोवर ने अपने कार्यकाल में सोलन नगर निगम को बहुत से तोहफे दिए और अपनी कार्यशाली में पारदर्शिता लाई

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22 अगस्त 2024–(#मै_लड़की_हूँ_लड़_सकती_हूँ)–

Tct chief editor

उत्तर प्रदेश के चुनाव मे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने यह नारा दिया था। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने नारी शक्तिकरण को मुद्दा बना कर लड़े थे। हालांकि उस चुनाव मे उनके इस नारे ने उनकी पार्टी को जीत दिलाने मे सहायता नहीं की थी। खैर सोलन मे जरूर उनकी पार्टी की दो महिला नेत्रियों ने इस नारे को चरितार्थ कर दिखाया है। सोलन नगर निगम के मेयर को लेकर कांग्रेस मे गुटबाजी के चलते खूब खींचतान चल रही थी। नये बने सोलन नगर निगम के पहले चुनाव मे कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया और पूनम ग्रोवर सोलन निगम की पहली मेयर बनी, लेकिन उनकी अपनी पार्टी के कुछ स्थानीय नेताओं और पार्षदों को उनका मेयर बने रहना रास नहीं आ रहा था और कांग्रेस के एक गुट ने विपक्ष के साथ तालमेल कर पूनम ग्रोवर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की असफल कोशिश की थी। खैर अढ़ाई साल बाद मेयर का चुनाव पुनः हुआ तो पूनम ग्रोवर को हटाने का प्रयास करने वाले गुट ने मेयर पद पर कब्जा जमाने की कवायद शुरू की लेकिन वर्तमान मेयर ऊषा शर्मा और पूर्व मेयर पूनम ग्रोवर की जोड़ी ने नई संभावनाओं की तलाश करते हुए नये समीकरण बना कर मेयर की कुर्सी पर कब्जा कर लिया और दुसरी बार भी ऊषा शर्मा के तौर पर सोलन को महिला मेयर मिली। ऊषा शर्मा के मेयर बनने को स्थानीय विधायक एवं मंत्री धनीराम शडिंल ने अपनी व्यक्तिगत पराजय माना और कांग्रेस की ओर से ऊषा शर्मा, पूनम ग्रोवर और दो अन्य पार्षदों के खिलाफ पार्टी विह्प की अवहेलना करने का आरोप लगाते हुए दल-बदल कानून के अंतर्गत शिकायत दर्ज की।

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इसी वर्ष दो महिने पहले ऊषा और पूनम को सरकार ने पार्षद पद से अयोग्य घोषित कर ऊषा शर्मा को मेयर पद से हटा दिया गया, लेकिन दोनो महिलाओं ने हार मानने से इंकार करते हुए सरकार के अयोग्यता के निर्णय को हिमाचल हाईकोर्ट मे चुनौती दी। वह वहां से राहत पाने मे असफल रही, फिर भी उन्होने अपने लड़ने के संकल्प को जारी रखते हुए हाईकोर्ट के निर्णय को देश की सबसे बड़ी अदालत मे चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने शुरुआती तर्क सुनने के बाद ऊषा शर्मा को आंतरिक राहत देते हुए अगले आदेश तक मेयर पद पर बहाल कर दिया है। इसके अतिरिक्त ऊषा शर्मा और पूनम ग्रोवर पार्षद भी बनी रहेंगी। प्रतिष्ठित अंग्रेज़ी दैनिक ट्रिब्यून पर भरोसा करें तो कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि यह प्रकरण मेल-वायसड भावना से ग्रस्त लगता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि हमने नहीं सोचा था कि हिमाचल मे भी महिलाओं के साथ ऐसा पक्षपात हो सकता है। खैर मेरा ब्लॉग कोर्ट की टिप्पणी की विवेचना करने मे सक्ष्म नहीं है। ऊषा शर्मा और पूनम ग्रोवर की सुप्रीम कोर्ट मे विचाराधीन याचिका पर अंतिम निर्णय भविष्य के गर्भ मे है, लेकिन आज तक का उनका संघर्ष काबिले तारीफ है। यहां एक बात और दर्ज करने काबिल है कि सुप्रीम कोर्ट मे उनके पक्ष रखने वाली वकील भी एक युवा महिला राधिका गौतम थी और उनकी सहायक वकील भी अंजलि दुबे युवा महिला थी।

Mohinder Nath Sofat Ex.Minister HP Govt.

#आज_इतना_ही।

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