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PALAMPUR: *TCP में जोडने वाली अधिसूचना को तुरन्त प्रभाव से रद्द नहीं किया तो होगा बहुत बड़ा आन्दोलन*

 

PALAMPUR: *TCP मे जोडने वाली अधिसूचना को तुरन्त प्रभाव से रद्द नहीं किया तो होगा बहुत बड़ा आन्दोलन*

Tct chief editor

अगर तानाशाही शासन के चलते टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग विभाग के प्रधान सचिव दिवेश कुमार द्वारा 20 अगस्त को पालमपुर व सुलह हल्के के 76 गाँवों को टी सी पी में जोडने वाली अधिसूचना को तुरन्त प्रभाव से रद्द नहीं किया तो बहुत बड़ा आन्दोलन होगा । यह चेतावनी समाजसेवा में समर्पित इन्साफ संस्था के अध्यक्ष एवं पालमपुर के पूर्व विधायक प्रवीन कुमार ने आज पालमपुर में आयोजित पत्रकार वार्ता में दी। पूर्व विधायक ने सरकार को कोसते हुए कहा आखिर 20 महीनो के शासन काल में पालमपुर की जनता को क्या मिला । सर्वप्रथम कुर्सी में बैठते ही मुख्यमन्त्री महोदय ने पालमपुर खण्ड विकास कार्यालय , चचियां उप तहसील , बनूरी जल शक्ति विभाग के उप मण्डल व कण्डबाडी के सी एच सी भवन इत्यादि पर ताला जडबा दिया । उसके उपरान्त पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की 112 एकड़ जमीन के ऊपर ढाका डालकर कृषि प्रधान इस देस के इस अग्रणी कृषि शैक्षणिक मन्दिर में टूरिजम विलेज खोलने की बहुत बड़ी सौदेबाजी करके यहाँ के कृषि प्रचार , प्रसार , अनुसंधान व कृषि शिक्षा के महोल को पर्यटन के नाम पर पुरी तरह तहस नहस करने का कथित प्रयास किया जा रहा है। अव इसी सरकार के प्रधान सचिव टाउन एण्ड कंट्री प्लानिंग ने पालमपुर व सुलह विधानसभा सभा क्षेत्रों के 76 गांवों को जबरन टी सी पी में शामिल करने का तानाशाही फरमान जारी करके रख दिया। पूर्व विधायक ने हैरानगी जताते हुए कहा हिमाचल प्रदेश सरकार के मुख्य संसदीय सचिव जो कि पालमपुर के विधायक ही नहीं बल्कि इस विभाग से एसोसिएट सी पी एस है। इन्हें पता ही नहीं चला कि इनके हल्के के गांवों को टी सी पी के दायरे में लिया जा रहा है। अर्थात इन्हें इतनी बड़ी अधिसूचना जारी करते वक्त सम्बधित विभाग के मुखिया एवं प्रधान सचिव ने विश्वास में ही नहीं लिया ऎसे में यह कैसी सरकार है। पूर्व विधायक ने कहा वाक्य ही अव पता चलता है कि जो छ: कांग्रेस के विधायक सरकार का साथ छोड़ने पर मजबूर हुए वे सच्चे थे । पूर्व विधायक ने सरकार को चेताया है कि इन 76 गावों के बशिन्दे बडे सुख चैन के साथ अपना ग्रमीण जीना जी रहे हैं। इनके ऊपर शहरी कानून थोप कर इस प्रकार के फरमान जारी करके उन्हे सडकों पर उतरने के लिए बाध्य न किया जाए ।

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