मेरी नई रचना हिंदी दिवस पर
हर घर पे एक तिरंगा हो।
हर घर मे लोटा गंगा हो।
गीता का पाठ उचारे सभी।
संग लाठी एक मलंगा हो।
ये गांठ बांध लें हर हिन्दी।
सूरज भारत की है बिंदी
अधरों पे शपथ तिरंगे की
सांसों में सबके तिरंगा हो।
अभिमान तिरंगा है तेरा।
सम्मान तिरंगा है तेरा।
मेरी जान तिरंगे में है बसी।
जब जाऊँ कफ़न तिरंगा हो।
विनोद शर्मा वत्स