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Himachal current issue:*विक्रमादित्य के निर्देश विवादों के घेरे मे कांग्रेस नेता वेणुगोपाल ने किया तलब*

लेखक;-महेंद्र नाथसोफत पूर्व मंत्री हिमाचल प्रदेश सरकार

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29 सितंबर 2024-(#विक्रमादित्य_के_निर्देश_विवादों_के _घेरे_मे_कांग्रेस_नेता_वेणुगोपाल_ने_किया_तलब)–

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मैने 27 सितंबर के अपने ब्लॉग मे हिमाचल के शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य के उस ब्यान और उन निर्देशों का स्वागत किया था जिसके चलते रेहड़ी -फड़ी वालों को पहचान पत्र लगाना अनिवार्य करने की बात कही गई थी। मैने अपने उस ब्लॉग मे यह आशंका भी व्यक्त की थी विक्रमादित्य के ब्यान पर राजनीति हो सकती है और इसे साम्प्रदायिकता की दृष्टी से देखा जा सकता है। खैर वही हुआ जिसकी अपेक्षा थी। उनके ब्यान से कांग्रेस मे हडकंप मच गया और कांग्रेस हाईकमान तक हलचल हो गई। केन्द्रीय नेता सफाई देने लगे और अगर सोशल नेटवर्किंग की माने तो शहरी विकास मंत्री को दिल्ली तलब किया गया। वह कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव वेणुगोपाल से मिले और उनसे अपने ब्यान के बारे चर्चा की और सफाई दी। प्रतिष्ठित अखबार मे वेणुगोपाल का एक ब्यान छपा है कि जिसमे उन्होने कहा है कि कोई मंत्री या पदाधिकारी पार्टी की नीतियों और विचारधारा के खिलाफ नहीं जा सकता है। यह बात उन्होंने विक्रमादित्य के ब्यान के सन्दर्भ मे कही है।

मेरी समझ मे वेणुगोपाल के ब्यान का अर्थ यह निकला है कि पहचान छुपाना, अपनी पहचान न बताना और छन्द भेष मे रहना कांग्रेस की निति है, अन्यथा विक्रमादित्य के निर्देश मे कुछ भी गलत नहीं है। उन्होने केवल सभी स्ट्रीट वैंडर्स को अपने पहचान पत्र लगाने की बात कही थी। मीडिया ने उनके निर्देश को उत्तर प्रदेश सरकार की निति के साथ जोड़ दिया जो कांग्रेस की हाईकमान को गवारा नहीं हुआ। वह बचाव की मुद्रा मे स्पष्टीकरण जारी करने लगे, जबकि किसी भी एक प्रदेश सरकार के अच्छे काम का अनुकरण करना अच्छी बात है। स्मरण रहे विक्रमादित्य के पिता वीरभद्र सिंह जी के नेतृत्व मे माता-पिता पोषण के लिए कानून बनाया गया था, जिसका बाद मे अधिकांश राज्यों ने अनुसरण किया था। जबरदस्ती धर्मान्तरण के विरोध मे भी कानून हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने पारित किया और कई राज्यों ने उसका अनुसरण किया।

मुझे लगता है वेणुगोपाल को नहीं पत्ता कि जनता इस विषय पर क्या सोच रखती है। इसी बीच खबर आई है कि प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल विक्रमादित्य के समर्थन मे उतर आए है और उन्होने कहा कि ऐसा करना प्रदेश की सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है। पूर्व मे कर्नल रहे स्वास्थ्य मंत्री ने आगे कहा कि सुरक्षित प्रदेश के लिए यह पता लगाना जरूरी, कौन कहां से और किस भावना से आ रहा है। मेरे विचार मे विक्रमादित्य की यह परीक्षा की घड़ी है वह हाईकमान के दबाव मे न आए और अपने पिता की तरह कांग्रेस नेतृत्व से आंख मे आंख डाल कर बात करें, क्योंकि उनके ब्यान और निर्देश के साथ तर्क, सच्चाई है और जनभावानएं भी जुड़ी हुई है।

#आज_इतना_ही।

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