PWD *सरकारी कहावत :बने रहो पगला काम करेगा अगला*
बने रहो पगला काम करेगा अगला यह कहावत अक्सर और लगभग सरकारी महाकों के सभी विभागों पर लागू होती है .
नीचे चित्र में जो आप यह पुलिया टूटी हुई देख रहे हैं यह लगभग पिछले दो महीनों से ऐसी ही पड़ी हुई है। पूरी बरसात निकल गई परंतु इसे सुधारने का और इसे बनाने का समय विभाग के पास नहीं रहा ।ना विभाग ने इस विषय में गंभीरता से सोचा कि कितने लोग यहां पर एक्सीडेंट होते-होते बचे होंगे।
यह इतना एक्सीडेंट प्रोन एरिया बन चुका है कि यहां पर कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है किसी की टांग टूट सकती है किसी की जान जा सकती है किसी का सिर फूट सकता है। परंतु विभाग को इसके बारे में शायद ना कोई खबर है और ना ही विभाग इसे देख पा रहा है।
हां यह बात अलग है कि जो विभाग इसके लिए यानी कि पीडब्ल्यूडी जिम्मेवार है वह उसके अधिकारी न केवल अधिकारी बल्कि बड़े-बड़े अधिकारी हर रोज यहां से सुबह सैर करते हुए निकलते हैं जो सैर करने नहीं आते वह भी यहां से गुजरते हुए इसे देखते हैं हुए दिन एक दो बार जरूर देखते हैं।नेता लोग यहां से निकलते हैं परंतु इन लोगों को यह सारी चीज नजर नहीं आती । यह बात अलग है कि इसी सड़क इसी संबंधित विभाग के बड़े२ अधिकारी हर रोज सुबह सैर करने जाते हैं जो रिटायर हो चुके हैं या इस विभाग से संबंधित नहीं है या एडमिनिस्ट्रेशन में है या पुलिस में है परंतु वह भी अपना माथा पटक कर बैठ जाते हैं । वे केवल आलोचना कर सकते हैं और कुछ भी नहीं क्योंकि उनके हाथ में कुछ नहीं है और जिनके हाथ में सबकुछ है वह मूकदर्शक बने हुए हैं और उनके लिए किसी की टांग टूट जाए किसी का सिर फूट जाए किसी की जान चली जाए कोई फर्क नहीं पड़ेगा ,क्योंकि वह कोई ना कोई डॉक्टरों की तरह टेक्निकल रीजन देकर निकल जाएंगे ।
अरे भाई अगर आपके पास समय नहीं था संसाधन नहीं थे पैसे नहीं थे तो यह पुली उखाड़ी क्यों और अगर इस तोड़ दिया गया है तो इसे बनाया क्यों नहीं जा रहा ?और यहां पर लोगों को परेशानी के लिए क्यों छोड़ा गया है ।
इसमें तो हमें एक गहरी साजिश लगती है कि यहां के लोकल विधायक का घर यहां से लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर है उनको बदनाम करने के लिए उन्हें इनएफिशिएंट साबित करने के लिए यह है सारा कार्य और लापरवाही हो रही है ताकि लोग सुबह आते जाते शाम को घूमते हुए यहां से कहें कि यह सब इसके बस की बात नहीं। एक पुली तक नहीं बन पा रही पुलों की और फ्लाई ओवर की बात तो छोड़ दीजिए। ऐसे शब्द यहां पर स्वयं हमने लोगों को बोलते हुए सुने हैं जो एक पुलिया ना बन पाए वह पुल क्या बना पाएगा फ्लाई ओवर क्या बनवाएगा बड़े प्रोजेक्ट क्या लाएगा। जबकि उनकी शायद इसमें कोई गलती नहीं गलती है ।गलती है तो विभाग की विभाग की लापरवाही की और विभागीय अधिकारियों को किसी का कोई खौफ नहीं डर नहीं जवाब देही नहीं इसलिए यह सब हो रहा है😢