*गांधी_जयन्ती_पर_शराबबंदी_समाप्त_करने_की_घोषणा*
5 अक्तूबर 2024- (#गांधी_जयन्ती_पर_शराबबंदी_समाप्त_करने_की_घोषणा)–
नई बात है कि आज तक गांधी जयन्ती पर शराबबंदी करने के संकल्प लेने की प्रथा थी, लेकिन इस बार 2 अक्तूबर को नई पार्टी जन सुराज पार्टी की स्थापना सभा मे तालियों की गूंज मे शराबबंदि समाप्त करने की घोषणा की गई है। काबिलेगौर है राजनीतिक दलों के चुनावी रणनीतिकार रहे प्रशान्त किशोर जो कि पी०के० नाम से भी जाने जाते है ने अपनी जन सुराज पार्टी बना कर बिहार की राजनीति मे पदार्पण किया है। स्मरण रहे उनके पार्टी स्थापना समारोह मे अच्छी-खासी भीड़ जुटी थी। सबसे खास बात है बिहार की राजनीति जहां जातीय समीकरण सबसे महत्वपूर्ण माने जाते है वहां हालांकि पी के अपनी जाति के कारण उन जातिय समीकरणो मे फिट नहीं बैठते है, फिर भी हज़ारों लोगो का समर्थन प्राप्त करने मे सफल हो गए है।
मेरी समझ मे उसके पीछे उनकी मेहनत और राजनैतिक समझ है। यह बात दर्ज करने काबिल है कि इस नई पार्टी बनाने से पहले उन्होने तीन हजार किलोमीटर की पदयात्रा की लोगो के मुद्दों को समझा और सीधा सम्पर्क स्थापित किया। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उनकी स्थापना रैली मे सभी जातियो और वर्गों के लोगो ने शिरकत की। खैर वह बिहार को नया विकल्प देने की बात कर रहे है। वह और उनकी पार्टी कितनी सफल होगी वह भविष्य के गर्भ मे है, लेकिन उन्होने यह कह कर कि यदि हमारी पार्टी सत्तारूढ होती है तो हम शराबबंदी खत्म कर देगें नेशनल मीडिया की सुर्खियां बटोर ली है। दिलचस्प बात है कि यह घोषणा करने के लिए उन्होने गांधी जयन्ती को चुना है। पराधीनता के युग मे महात्मा ने घोषणा की थी कि “यदि भारत का शासन आधे घंटे के लिए भी मुझे मिले तो मै शराब की सभी डिस्टिलरियों और दुकानो को बिना मुआवजे के बंद कर दूंगा।”
मेरे विचार मे शराब के दो पक्ष है एक यह गरीब के बच्चों की सबसे बड़ी दुश्मन है। अधिकांश गरीब परिवारो के मुखिया पुरूष शराब के आदि है और वह अपनी पत्नी और बच्चों की कीमत पर शराब पीते है और दुसरा शराब को बंद करने से सरकारे गरीब हो जाती है। स्मरण रहे हिमाचल सहित विभिन्न प्रदेशों को शराब से सबसे अधिक आय होती है। प्रशान्त के अनुसार बिहार सरकार को शराबबंदी से 20000,करोड़ रूपए का सालाना नुकसान हो रहा है। वह इस पैसे को शिक्षा के स्तर के सुधार पर खर्च करने का इरादा रखते है। शराबबंदी के कई दुष्प्रभाव है एक प्रदेश मे शराब पर पाबंदी होती है तो पड़ोस से शराब की स्मगलिंग शुरू हो जाती है। कच्ची शराब बिकती है और बहुत लोग घटिया शराब पी कर मौत के ग्रास बनते है। बिहार मे शराबबंदी खत्म होनी चाहिए या नहीं मै इस पर टिप्पणी करने मे सक्ष्म नही हूँ, लेकिन इसकी समीक्षा जरूर होनी चाहिए।
#आज_इतना_ही।