*तरूण_श्रीधर_को_साधुवाद* महेंद्र नाथ सोफत पूर्व मंत्री


19 अक्तूबर 2024- (#तरूण_श्रीधर_को_साधुवाद)–

हिमाचल हाईकोर्ट ने पर्यटन विकास निगम पर कई तल्ख टिप्पणियां ही नहीं की अपितु कोर्ट ने पर्यटन निगम मे किसी भी तरह की नई भर्तियों पर रोक लगा दी है। स्मरण रहे हाईकोर्ट सेवानिवृत्त कर्मियों को देय राशि के भुगतान को लेकर दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा है। यह भुगतान दयनीय वित्तीय स्थिति के कारण नहीं हो पा रहा है। कोर्ट ने इस केस मे पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव को प्रतिवादी बनाया था। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि प्रदेश मे पर्यटक नहीं आ रहे लेकिन पर्यटक निगम होटलो की तुलना मे निजी होटलो मे ठहरना पंसद करते है और निजी रेस्टोरेंट मे खाना पसंद करते है। कोर्ट ने पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव को कोर्ट द्वारा उठाए गए मुद्दों पर हलफनामा दायर करने का आदेश दिया ताकि पर्यटन निगम की संपत्तियों को लाभ कमाने वाली संपत्तियों मे बदलने के लिए कुछ किया जाए। मेरी समझ मे पर्यटन निगम की वित्तीय संकट के कई कारण होगें जिनकी विवेचना होनी जरूरी है। इसके घाटे का बड़ा कारण कुछ होटल एवं रेस्टोरेंट ईकाईयां राजनैतिक कारणों से खोली गई है और यह ईकाईयां वर्षों से घाटे मे चल रही है। यह उन संपत्तियों के लाभ भी खा जाती है जो लाभ कमाती है। पर्यटन निगम की आर्थिक दयनीय स्थिति के कारण निगम की संपत्तियों की रिनोवेशन भी नहीं हो पा रही जबकि यह पर्यटन इंडस्ट्री के लिए अति आवश्यक है।
मुझे भी इस निगम के साथ नब्बे के दशक मे काम करने का अवसर मिला था और मैने उस समय महसूस किया था कि निगम का नेतृत्व पेशेवर लोगो के हाथ मे ही होना चाहिए। खैर उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद सरकार हरकत मे आई है। सरकार ने सेवानिवृत्त आई.ए .एस अधिकारी तरूण श्रीधर की अध्यक्षता मे कमेटी का गठन किया है जो पर्यटन निगम की वित्तीय स्थिति की समीक्षा करेगी और घाटे मे चल रही इकाइयों को इससे उभारने को लेकर सुझाव देगी। तरूण श्रीधर को एक अनुभवी और विजनरी अफसर माना जाता है। वह प्रदेश और केन्द्र सरकार मे महत्वपूर्ण विभागों मे काम कर चुके है। कमेटी उन 20 इकाइयों को घाटे से उभारने के लिए सुझाव देगी जो घाटे मे चल रही है। मै जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूँ इन इकाइयों मे से अधिकांश को राजनेताओं की सिफारिश पर या उन्हे खुश करने के लिए खोला गया था। खैर उम्मीद है तरूण श्रीधर की कमेटी सार्थक और उपयोगी रिपोर्ट देने मे सफल होगी। यहां एक बात दर्ज करने काबिल है कि तरूण श्रीधर इस कमेटी को चेयर करने के लिए न कोई वेतन और न ही कोई मानदेय लेगें। उन्होंने इस संबंध मे सरकार की पेशकश अस्वीकार कर दी है। उन्होने ऐसा कर एक प्रेरणादायक उदाहरण पेश किया है। मेरे विचार मे उनके इस निर्णय से अन्य सेवानिवृत्त अफसरों को भी प्ररेणा लेनी चाहिए। अफसरों ने जिन्दगी भर हिमाचल सरकार से सुविधाएं और वेतन प्राप्त कर काम किया है। अब सरकार और इसके निगम गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहे है और सेवानिवृत्त अफसर इस संकट से निकलने के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल कर सरकार को सही सुझाव देकर मदद कर सकते है। तरूण श्रीधर बिना मानदेय के यह काम कर नैतिक कर्तव्य के पालन का परिचय दे रहे है निश्चित तौर पर वह साधुवाद के पात्र है।

#आज_इतना_ही।