*सेंट पॉल विद्यालय द्वारा शैक्षिक भ्रमण पालमपुर से चेन्नई यह एक यात्रा कक्षा तथा शिक्षा के बाहर*


सेंट पॉल विद्यालय द्वारा शैक्षिक भ्रमण पालमपुर से चेन्नई यह एक यात्रा कक्षा तथा शिक्षा के बाहर।

पूरे संसार में शिक्षा को जब एक कक्षा की चारदीवारी में बंद करके, वाहर जाते है जैसे अभी छात्र हाल ही में शिक्षा सम्बन्धी यात्रा के लिए कक्षा की चारदीवारी से हट करके जव लम्वी सांस लेता है। सेंट विधालय हाल ही में शिक्षा सम्वन्धी यात्रा जो कि 11 अक्तूबर को पालमपुर से चेन्नई के लिए रवाना हुई। यह यात्रा काफी अतुलनीय रही। इस समूह में 37 बच्चों का दल अपनी कक्षा की चारदीवारी से हट करके कुछ नया सीखने के लिए गया। यह यात्रा आश्चर्यजनक रही। यह यात्रा पालमपुर से चडीगढ और चडीगढ से हवाई यात्रा के माध्यम से चिन्नई के लिए थी। इस यात्रा में बच्चों ने चडीगढ में चिडियाघर में अदभुत जीवो को देखा। इस यात्रा में बच्चों ने सेनथोम कैथरल वसीला जो कि एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। जो महत्वपूर्ण और काफी वडा रहा। इनमें से सेंट थॉमस बारह शिष्यों में से एक धर्मदूत का प्रचारक जो ईसा मसीह द्वारा नियुक्त किया गया था। यह संसार के तीन चर्चा में एक चर्च जो धर्म का प्रचारक है। यह क्रिश्चन सोसाइटी के लिए चेन्नई में स्थापित किसी देश या समाज की प्रथाओं को आगे बढाने में महत्वपूर्ण है।
दूसरे दिन की यात्रा, बच्चों को मरीना बल्ड में उनके मनोरंजन और जल में क्रीडांए भी मरीना वीच में की गई। तीसरे दिन वच्चों को पांडीचेरी, तथा महाबलीपुरम जहां पर हम संस्कृति से रूवरू हुए। और सौर मन्दिर के दर्शन भी किए। इसके बाद बच्चों द्वारा ओरिविन्दो आश्रम की यात्रा की गई जो कि एक दूसरे को प्रेरित करने के लिए थी। हमें इस आश्रम में जाने का मौका भी मिला।
चौथे दिन की यात्रा ओरिविन्दों आश्रम को विशेष रूप से प्रसिद्धि के रूप में थी। जहां छात्रों
द्वारा पैदल यात्रा भवन को देखने के लिए थी। जो एक ख्याति प्राप्त था। इसके बाद साथ ही म्यूजियम और प्रसिद्ध विनायक मंदिर की भी यात्रा की। साथ ही पांडेचेरी में फेंच कलोनी में पत्थरो का वीच और थोडी ही दूर जाकरके घुमराह करने वाला पेराडाइज वीच भी गए।
पांचवे दिन सुवह 2 वजे चेन्नई से दिल्ली के लिए हवाई यात्रा थी। और सुवह पांच वजे दिल्ली
पहुंचकर हम इंदिरा गांधी मेमोरियल या यादगार म्युजियम गए। वहां हमने पूर्व प्रधानमंत्री के विषय जानकारी भी प्राप्त की। इसके साथ हमने राष्ट्रपति भवन जाकर ऐतिहासिक महत्व को जाना और वहां के वास्तुकला की भव्यता को जाना। और दिवस के अंत में हमने कर्तव्य पथ पर एक यादगार भ्रमण किया। इस अदभुत यात्रा के छठे दिन हम ऐतिहासिक महत्व को रखने वाले कुतुब मिनार में गए। दिन
का सबसे प्रेरक क्षण था हमारा अक्षरधाम मन्दिर में जाना। मन्दिर की भव्य वास्तुकला और जटिल अच्छे वातावरण को देखकर आवाक रह गए। यह यात्रा एक कक्षा की यात्रा से वढकर थी। यह यात्रा बच्चों के चरित्र को बदल देने वाली और हमारे दिलों में सदा दनने वाली रहेगी।