*(#भाजपा_ने_मुफ्तवाद_के_आगे_डाल _दिए_है_हथियार)*
5 नवम्बर 2024–(#भाजपा_ने_मुफ्तवाद_के_आगे_डाल _दिए_है_हथियार)–
दिवाली के त्यौहार के तुरंत बाद महाराष्ट्र चुनाव के लिए चुनाव प्रचार अभियान तेज हो गया है। मै आजकल मुम्बई मे हूँ और महाराष्ट्र के समाचार पत्र पढ़ रहा हूँ। अखबारों और अन्य मीडिया रिपोर्ट के अवलोकन के बाद यह बात ध्यान मे आती है कि 20 नवम्बर को होने वाले झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव मे भाजपा ने भी मुफ्तवाद के सामने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया लगता है। हालांकि भाजपा के सर्वोच्च नेता एवं देश के प्रधानमंत्री मुफ्तवाद या रेवड़ीयां बांटने की संस्कृति को देश के हित के खिलाफ मान चुके है और रेवड़ी बांटने की संस्कृति की सार्वजानिक तौर पर आलोचना भी कर चुके है, लेकिन युति यानी भाजपा नीत गठबंधन ने मध्यप्रदेश की तर्ज पर लाडली बहना स्कीम महाराष्ट्र मे लॉन्च की है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओं को 1500 रूपए मासिक दिए जाएंगे। महिलाएं इस पर विश्वास करे और युति गठबंधन का समर्थन करे इसलिए नवम्बर माह के पैसे भी खाते मे डाल दिए गए है और सरकार के दुबारा निर्वाचित होते ही दिसंबर के दे दिए जाएंगे। महाराष्ट्र मे भाजपा नीत युति गठबंधन के प्रचार का सबसे अधिक फोकस लाडली बहना योजना पर है और इसके बाद हर स्लम वाले को मुफ़्त घर देने का वायदा भी किया जा रहा है।
यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि महाराष्ट्र से एक वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री कह चुके है कि राजनीतिक दृष्टि से यह अच्छी योजना है लेकिन प्रदेश की आर्थिकी के लिए अच्छी नही है स्मरण रहे इस योजना के बाद मध्यप्रदेश सरकार भी आर्थिक दबाव मे है। खैर भाजपा झारखंड मे भी रेवाड़ीयों का सहारा ले रही है। झारखंड मे नौजवानो को 2000 रूपए मासिक बेरोजगारी भत्ता देने और महिलाओ को 2100 रूपए मासिक देने का वायदा किया जा रहा है। मेरी समझ मे कभी भाजपा अपनी विचारधारा, अपने कार्यक्रम और अपनी अलग पहचान के आधार पर चुनाव लड़ती थी लेकिन अब वह मुफ्त बांटने की प्रतिस्पर्धा मे शामिल होने के लिए मजबूर है। उधर कांग्रेस की महाराष्ट्र ईकाई भी मुफ़्त रेवड़ियाँ बांटने की घोषणा करने मे भाजपा का मुकाबला करते हुए भाजपा से आगे निकलना चाहती है लेकिन रास्ते मे कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन के इस सन्दर्भ मे किए गए निर्देश आ रहे है कि घोषणाएं बजट के आकार को देख कर की जाएं ताकि बाद मे पार्टी की बदनामी न हो।
#आज_इतना_ही।