*हिमाचल_मे_होने_वाले_तीन_चुनाव_क्षेत्रो_मे_कल_होगा_मतदान*


9 जुलाई 2024–(#हिमाचल_मे_होने_वाले_तीन_चुनाव_क्षेत्रो_मे_कल_होगा_मतदान)–

सर्वविदित है कि हिमाचल के तीन निर्वाचन क्षेत्रों मे उपचुनाव हो रहे है। कल इन तीनों उपचुनावों मे मतदान होगा। इन चुनावों मे कौन जीत दर्ज करेंगे यह भविष्य के गर्भ मे है, लेकिन मीडिया और दोस्तों से प्राप्त जानकारियों के अनुसार तीनो जगह कांटे की टक्कर है। दोनो पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने प्रचार मे पुरी ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस के पास सरकार की ताकत है तो भाजपा के पास अपनी संगठन शक्ति का बल है । इस सारे चुनाव मे मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खू और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर आमने-सामने है। कांग्रेस ने भाजपा पर सरकार को गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया तो भाजपा ने कांग्रेस सरकार को नॉन परफॉर्मेंस के चलते अपने ही विधायकों को सन्तुष्ट न कर पाने का आरोप लगाया। मेरी समझ मे कांग्रेस द्वारा पहले ही चार उपचुनाव जीतने के बाद अब इन तीन उपचुनावों के परिणाम प्रदेश की राजनीति मे कोई बड़ा बदलाव करने या प्रभावित करने मे सक्ष्म नहीं है, लेकिन इन चुनावों के परिणाम वर्तमान सुख्खू सरकार की लोकप्रियता को एक बार फिर तोलने का काम अवश्य करेगें।
अभी हाल ही मे सम्पन्न लोकसभा चुनावों मे कांग्रेस प्रदेश मे सत्तारूढ होने के बावजूद एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। कांग्रेस ने यह कह कर अपना बचाव किया कि हमारा तो फोकस उपचुनावों पर था। मेरे विचार मे अब कांग्रेस सरकार को इन चुनावों मे विपरीत परिणाम से भी कोई खतरा नहीं है, लेकिन सरकार की प्रतिष्ठा जरूर दांव पर लगी हुई है,विशेषकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के लिए देहरा से अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर को जीत दिलाना बड़ी चुनौती है। इन तीनो उपचुनावो मे एक मुद्दा जो सबसे अधिक चर्चित था कि यह चुनाव हो क्यो रहे है। हालांकि इसके लिए दोनो पार्टियां एक दुसरे को जिम्मेदार ठहरा रही है, लेकिन जनता दोनो की बात से सन्तुष्ट नहीं है। मै भी पिछले 40 वर्षो से हिमाचल की राजनीति पर नजर रख रहा हूँ लेकिन मै उन कारणों की पहचान करने मे सक्ष्म नही हूँ जिसके कारण इन निर्दलीय विधायकों को त्यागपत्र देकर चुनाव लड़ कर दुबारा विधायक बनने के लिए चुनाव करवाना जरूरी था।
मेरे आंकलन के अनुसार तीनो पूर्व विधायक जो अब भाजपा के उम्मीदवार है इस सवाल का सन्तोषजनक उत्तर मतदाताओं को नही दे सके कि उन्हे त्यागपत्र देने और जनता पर यह तीन उपचुनाव थोपने की जरूरत क्यों आन पड़ी। अब मामला जनता की आदलत मे है। मतदाता इन तीनो पूर्व विधायको की जीत या हार तय करते हुए यह भी तय कर देगें कि वह इनके त्यागपत्र देने को सही मानते है या गलत। यह जानने के लिए हमे चुनाव परिणामों का इतंजार करना होगा।

#आज_इतना_ही।

