देशपाठकों के लेख एवं विचार

Editorial:. *इंडिया_गठबंधन_मे_दरार_और_बिखराव_साफ_दिखाई_दे_रहा_है* लेखक महेंद्रनाथ सोफत पूर्व मंत्री

1 Tct

6 दिसंबर 2024-(#इंडिया_गठबंधन_मे_दरार_और_बिखराव_साफ_दिखाई_दे_रहा_है)-

Tct ,bksood, chief editor

महाराष्ट्र के चुनाव मे इंडिया गठबंधन को बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। जब इंडिया गठबंधन की स्थापना हुई थी तो साथ रहने और साथ निभाने की कसमें खाई गई थी। इंडिया गठबंधन बनाने के पीछे उद्देश्य था भाजपा के हर उम्मीदवार के खिलाफ सांझा एक ही उम्मीदवार खड़ा करना, लेकिन यह पूरी तरह सफल न हो सका पहला झटका इसे ममता ने पश्चिम बंगाल मे दिया और उन्होने लोकसभा चुनाव मे इंडिया गठबंधन से अलग होकर अपने उम्मीदवार खड़े किए। आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली मे अकेले चुनाव लड़ा। स्मरण रहे इंडिया गठबंधन मे कांग्रेस के नेतृत्व मे प्रमुख घटक थे तृणमूल कांग्रेस,आम आदमी पार्टी, एन.सी.पी, शिवसेना, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय जनता दल। काबिलेगौर है कि शिवसेना (उद्वव) और एन.सी.पी(पवार) विभाजन के बाद कमजोर हो चुकी है। राष्ट्रीय जनता दल बिहार की सत्ता से बाहर हो चुका है। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली मे अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अब कांग्रेस के अतिरिक्त तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ऐसी पार्टियां है जिनका पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश मे जनाधार है और वह अपने-अपने प्रदेश मे भाजपा को चुनौती देने मे सक्ष्म है, लेकिन इनमे और इंडिया गठबंधन मे दरार साफ दिखाई दे रही है। अभी अडानी प्रकरण को लेकर इंडिया ने प्रोटेस्ट का आयोजन किया लेकिन तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने इस प्रोटेस्ट मे हिस्सा नही लिया। यह बात भी दर्ज करने काबिल है कि हाल ही मे सम्पन्न उपचुनावों मे तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने मे रूची नही दिखाई।

मेरी समझ मे इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस कर रही है और कांग्रेस का नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे है जो देश के मान्यता प्राप्त विपक्ष के नेता भी है। वह इंडिया गठबंधन के घटको को साथ लेकर चलने मे सफल नही हो पा रहे है। मुझे लगता है ममता और अखिलेश अपने को राहुल से वरिष्ठ और अनुभवी मानते है। मेरा मानना है कि ममता एक योजना के अंतर्गत इंडिया मे दरार विकसित कर रही है। वह कांग्रेस के साथ अडानी अभियोग मुद्दे पर संसद बाधित करने के लिए तैयार नही थी। वह कांग्रेस को स्पष्ट संदेश दे रही है कि वह कांग्रेस की रबड़ स्टैंप बनने के लिए तैयार नही है। प्रतिष्ठित दैनिक मे छपे लेख के अनुसार ममता ने कहा कि हम एकमात्र ऐसी पार्टी है जो कांग्रेस की चुनावी सांझेदार नही है, इसलिए जो बात हमारे मुद्दे या एजेंडे मे नही है तो उन मुद्दों पर होने वाली इंडिया की बैठक मे हमारा जाना जरूरी नही। मेरे विचार मे इंडिया गठबंधन की असफलता की कहानी बहुत लम्बी है लेकिन अगर उसे शार्ट मे समझाना हो तो इतना जान लिजिए की आपसी तालमेल की कमी के चलते लम्बे अंतराल के बाद भी वह इंडिया गठबंधन का संयोजक नही चुन सके है। मुझे लगता है कि गठबंधन को केवल मोदी के विरोध के कारण ही अस्तित्व मे नही रखा जा सकता है। गठबंधन को अपनी आपसी समझ को विकसित करने की जरूरत है। इस गठबंधन को जनता मे अपनी सवीकार्यता बढ़ानी होगी और कांग्रेस या राहुल गांधी की छाया से निकल गठबंधन के लिया नया नेतृत्व विकसित करना होगा अन्यथा इंडिया गठबंधन के पूर्ण बिखराव की खबर कभी भी आ सकती है।

#आज_इतना_ही।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button