राघव शर्मा रोटरी हॉस्पिटल मरांडा की जान है, तभी तो है अस्पताल बना हिमाचल की शान है! परमेन्द्र भाटिया


राघव शर्मा रोटरी हॉस्पिटल मरांडा की जान है, तभी तो है अस्पताल बना हिमाचल की शान है!
राघव शर्मा न हों तो आई हॉस्पिटल आई फाउंडेशन की कोई वैल्यू ना रहे।
राघव शर्मा: सेवा, समर्पण और नेतृत्व का प्रतीक
हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित रोटरी आई हॉस्पिटल मरांडा का नाम अगर आज हिमाचल की शान है, तो इसका श्रेय केवल एक शख्स को जाता है—राघव शर्मा। डॉक्टर शिव कुमार के बेटे राघव शर्मा ने इस अस्पताल को अपने पिता के सपनों के अनुरूप न केवल साकार किया, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों पर भी पहुंचाया। उनकी मेहनत, समर्पण और नेतृत्व ने इस अस्पताल को पूरे प्रदेश में एक विशिष्ट पहचान दिलाई है।
पिता के सपनों को दिया नया आकार
राघव शर्मा ने अपनी जिंदगी का बड़ा हिस्सा मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हुए बिताया। वह एक उच्च पद पर कार्यरत थे और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना करियर बना सकते थे। लेकिन उन्होंने अपने पिता डॉक्टर शिव कुमार के सपनों को प्राथमिकता दी। उनके पिता चाहते थे कि रोटरी आई हॉस्पिटल न केवल स्थानीय, बल्कि राज्य स्तर पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जाना जाए। राघव ने इस सपने को अपनी जिम्मेदारी माना और अपनी नौकरी छोड़कर इस मिशन को पूरा करने में जुट गए।
रोटरी आई हॉस्पिटल का कायाकल्प
राघव शर्मा के नेतृत्व में रोटरी आई हॉस्पिटल ने अद्भुत प्रगति की। उनकी प्रबंधन कुशलता ने अस्पताल को नई पहचान दी। उन्होंने आधुनिक तकनीकों को शामिल किया, सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार किया और अस्पताल को एक ऐसे केंद्र में बदल दिया, जहां मरीजों को न केवल इलाज, बल्कि भरोसा भी मिलता है।
राघव शर्मा का व्यवहार और कार्यकुशलता
राघव शर्मा की सबसे बड़ी खासियत है उनका व्यवहार। वे मरीजों और उनके परिजनों के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आते हैं। उनकी टीम भावना और कर्मचारियों के साथ सकारात्मक संबंधों ने अस्पताल के वातावरण को और बेहतर बनाया। उनकी मेहनत और सेवा भावना ने अस्पताल को एक परिवार जैसा बना दिया है।
अगर राघव शर्मा न हों तो इस हॉस्पिटल को जरूर फर्क पड़ेगा
स्थानीय लोगों और अस्पताल के कर्मचारियों का कहना है कि अगर राघव शर्मा न हों, तो रोटरी आई हॉस्पिटल की पहचान और इसकी क्षमता पर जरूर असर पड़ सकता है। उनके बिना यह फाउंडेशन उस स्तर पर कार्य नहीं कर सकता, जिस पर वह आज खड़ा है क्योंकि वह अस्पताल को नहीं ऊंचाइयां देने में दिन-रात मेहनत करते हैं जी जान से लगे रहते हैं उन्हें अपने घर परिवार सेहत खाने पीने और अन्य किसी भी कार्य से अधिक महत्वपूर्ण हॉस्पिटल का काम है
हिमाचल की प्रेरणा
राघव शर्मा न केवल रोटरी आई हॉस्पिटल, बल्कि पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए प्रेरणा हैं। उन्होंने दिखाया कि जब कोई व्यक्ति अपने परिवार, समाज और मूल्यों के लिए समर्पित होता है, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है।
निष्कर्ष
राघव शर्मा के बिना रोटरी आई हॉस्पिटल की कल्पना करना मुश्किल है। उनकी सेवा, समर्पण और नेतृत्व ने न केवल अस्पताल को बुलंदी पर पहुंचाया, बल्कि हिमाचल प्रदेश को भी गौरवान्वित किया है। वह वास्तव में रोटरी हॉस्पिटल मरांडा की जान और हिमाचल की शान हैं।
अभी हाल ही में शनि सेवा सदन के प्रमुख परर्मेंद्र भाटिया ने यहां पर किसी एक निर्धन व्यक्ति का ऑपरेशन कराया इसके लिए राघव शर्मा स्वयं उनके साथ-साथ रहे खुद पर्ची बनवाई उसको डॉक्टर को दिखाया उसके लिए दवाइयां दिलवाई उसको खाना खिलाया स्वयं खड़े होकर उसका ऑपरेशन करवाया तथा हम दोनों की खूब देखभाल की मरीज को ऐसे देखा जैसे यह है उनके मेहमान है इस तरह का व्यवहार सचमुच बहुत ही सराहनीय है परर्मेंद्र भाटिया