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टांडा मेडिकल कॉलेज और पालमपुर फायर ब्रिगेड के पास स्थित बिल्डिंगों पर प्रश्नचिन्ह?: करोड़ों की बर्बादी पर उठे तीखे सवाल

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जनमंच ,जन आवाज जनहित

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कहते हैं ना निकम्मी औलाद बाप की संपत्ति का सत्यानाश कर देते हैं कितना भी बड़ा महल बना ले उसका बाप ,निक्कम्मे बेटे उससे रंग सफेदी भी नहीं करवा पाते हैं।
यही हाल कुछ इस बिल्डिंग का है अगर तुमसे संभाली ही नहीं जानी थी तो इतनी बड़ी बिल्डिंग बना क्यों दी???????
यह क्वार्टर अगर किसी को नहीं चाहिए थे तो उसे क्यों बनाया गया????? क्यों करोड़ों रुपया बर्बाद किया गया ?????यह सब लापरवाही का अंजाम है एक बंदे ने कहा अगर तुमसे नहीं संभाली जाती तो मेरी ओर से ओपन बिड है कि मैं इस पूरी बिल्डिंग का ₹30000 महीना किराया दे दूंगा बशर्तें 100 साल की लीज दे दी जाए। 100 बरस तक ₹30000 ₹30000 लेते रहो और मौज करो । एक तो यहां से मनहुसियत समाप्त हो जाएगी दूसरे लोगों के काम आएगी लोग इस खंडहर का इस्तेमाल कर पाएंगे लोगों को कुछ तो फायदा होगा लोगों के टैक्स के गाढ़ी कमाई के टेक्स का जो पैसा यहां लगा है उसका लोगों को ही फायदा होगा पैसे देकर ही सही ।
जो दूसरी तस्वीर जो देख रहे हो पालमपुर की है इस बिल्डिंग को भी मैं ₹5000 प्रति महीने के हिसाब से लेने को तैयार हूं क्योंकि आपको तो इसे गिराकर इसका मलवा उठाने के लिए पैसे खर्च करने पड़ेंगे। आपसे तो सम्भली नहीं है हम संभालेंगे इसे और आपको पैसे भी देंगे बस100 ईयर के रिलीज कर लो ओपन ऑफर है ओपन बिड है कोई और ज्यादा दे सकता है तो वह बोली लगा सकता है।

टांडा मेडिकल कॉलेज और पालमपुर फायर ब्रिगेड की बिल्डिंगों का सवाल: करोड़ों की बर्बादी पर उठे तीखे सवाल

टांडा मेडिकल कॉलेज और पालमपुर फायर ब्रिगेड के पास बनी इमारतें आज खंडहर में तब्दील हो गई हैं। करोड़ों रुपये की लागत से बनी इन इमारतों का न तो सही तरीके से उपयोग हो पाया और न ही इनकी देखरेख हो रही है। स्थानीय लोगों ने इन इमारतों की दुर्दशा पर कड़ा सवाल उठाते हुए कहा है कि अगर इनसे कोई लाभ नहीं लेना था, तो इन्हें बनाया ही क्यों गया?

एक स्थानीय व्यक्ति ने टांडा मेडिकल कॉलेज की बिल्डिंग को लेकर कहा, “मैं ₹30,000 प्रति माह किराए पर इसे लेने के लिए तैयार हूं, बशर्ते इसे 100 साल की लीज पर दिया जाए। इससे न केवल यह खंडहर उपयोग में आ सकेगा, बल्कि सरकार को भी हर महीने आय होगी।”

दूसरी तरफ, पालमपुर फायर ब्रिगेड के पास बनी इमारत की हालत भी कुछ ऐसी ही है। एक व्यक्ति ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इसे ₹5,000 प्रति माह पर लेने को तैयार हूं। “अगर इसे ऐसे ही खड़ा रखा गया, तो इसे गिराने में भी पैसे खर्च करने पड़ेंगे। बेहतर होगा कि इसे लीज पर देकर जनता के काम में लाया जाए।”

इस तरह के एक्शन से न केवल सरकार को आमदनी होगी बल्कि कुछ युवाओं को बुजुर्गों  महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा जिससे बेरोजगारी खत्म होगी इससे बढ़िया योजना और क्या हो सकती है????

इन इमारतों की दुर्दशा से स्थानीय लोगों में गुस्सा है। उनका कहना है कि टैक्सपेयर्स की मेहनत की कमाई को यूं बर्बाद करना सरकार की बड़ी लापरवाही है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इन इमारतों के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी या यह खंडहर यूं ही खड़े रहेंगे?

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