Editorial:-मोबाइल_किसी_महामारी_से_कम_नही :लेखक महेंद्रनाथ सोफत पूर्व मंत्री


25 जनवरी 2025–(#मोबाइल_किसी_महामारी_से_कम_नही)

मेरा आज का ब्लॉग प्रतिष्ठित दैनिक मे छपे एक लेख से प्रेरित है। आज मोबाइल फोन हम सब के जीवन का अभिन्न अंग ही नही है अपितु हमारी कमजोरी बन गया है। हर किसी के हाथ मे मोबाइल है और हर कोई मोबाइल मे व्यस्त है। परिवारो मे एक साथ बैठने की परम्परा और आपसी संवाद गुजरे समय की बात हो गई है। अगर परिवार के लोग इकट्ठे बैठे भी है तो भी हर कोई अपने मोबाइल मे व्यस्त है। बच्चो की भी प्राथमिकता माता-पिता से भी अधिक मोबाइल हो गई। अब बच्चे मोबाइल देखने देने की शर्त पर पढ़ और खा रहे है। माता-पिता बच्चो की इस आदत से बहुत परेशान है लेकिन दिलचस्प बात है कि माता- पिता स्वयं भी मोबाइल देखने की आदत से ग्रस्त है। स्मरण रहे पिछले साल यूनाइटेड किंगडम मे किए गए एक अध्ययन मे बताया गया कि 11 साल की उम्र तक के बच्चो के पास मोबाइल फोन होता है। इसमे यह भी पाया गया है कि 8 से 17 साल की उम्र के तीन- चौथाई सोशल मीडिया उपभोक्ताओ के पास कम से कम एक बड़े सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपना अकाऊंट है। वैसे मोबाइल बहुत काम की चीज है। इसके उपयोग ने कम्युनिकेशन मे क्रांति ला दी है। सम्पर्क और सूचना का आदान-प्रदान बहुत ही सरल हो गया है, लेकिन इसकी लत बहुत बुरी और नुकसानदायक है।
मेरा अनुभव कहता है कि फ़ोन आदत को छोड़ना आसान नही है। मैने और मेरी पत्नी ने पांच साल पहले तय किया और टीवी देखना छोड़ दिया, फिर हमने तय किया कि हम दोनो दो घंटे के नो मोबाइल टाइम के अंतर्गत दो घंटे मोबाइल नही देखेंगे और आपस मे बातचीत करेंगे। यह सहमती केवल दो महीने चली और अपने आप टूट गई और दोनो मे से किसी ने भी समझौते के टूटने पर खेद प्रकट नही किया। हालांकि हमारे दोस्त हम दोनो को बहुत दृढनिशचई मानते है। खैर कुछ देशों ने इस महामारी से बचने के उपाय खोजने शुरू कर दिए है विशेषकर बच्चो मे यह समस्या दिन प्रतिदिन दिन बढ़ती जा रही है। दुनियाभर मे इस बात पर बहस चल रही कि इस प्रवृत्ति को कैसे रोका जाए,बच्चो की सुरक्षा कैसे की जाए और बच्चो को सोशल मीडिया से कैसे दूर रखा जाए। ऑस्ट्रेलिया सरकार 16 साल से कम उम्र के बच्चो को इंस्टाग्राम, फेसबुक और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म से दूर रखने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। प्रस्तावित कानून सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जिम्मेदारी डालेगा कि वह ऐसे कदम उठाए ताकि सोशल नेटवर्किंग और प्लेटफार्म तक बच्चो की पहुंच न हो। काबिलेगौर है कि भारत की स्थिति भी इस सन्दर्भ मे सुखद नही है। हमे भी सचेत होने की जरूरत है। इस प्रवृत्ति को रोकने के लिए सरकार और समाज को आगे आना होगा और इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है अन्यथा भविष्य मे इसके खतरनाक परिणाम हो सकते है।

#आज_इतना_ही।