दीपक तले अंधेरा: मिनी सेक्रेटेरिएट पालमपुर के टॉयलेट्स की बदहाली जारी, विभाग उदासीन
दीपक तले अंधेरा: मिनी सेक्रेटेरिएट पालमपुर के टॉयलेट्स की बदहाली जारी, विभाग उदासीन
पालमपुर – मिनी सेक्रेटेरिएट पालमपुर के टॉयलेट्स की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि मुंबई की चाल भी शर्म से झुक जाए। यह समस्या अचानक उत्पन्न नहीं हुई है, बल्कि यह कई महीनों या यूं कहें कि वर्षों से बनी हुई है। इसके बावजूद इस मुद्दे की सुध लेने वाला कोई नहीं है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि ऊपर के टॉयलेट्स का पानी नीचे फ्लोर पर टॉयलेट इस्तेमाल करने वालों के सिर पर गिरता है, जो अत्यंत गंदा और शर्मनाक है।
पीडब्ल्यूडी की अनदेखी इस मामले में पहले भी कई बार खबरें प्रकाशित हुईं और निजी स्तर पर भी बिल्डिंग के हेड से बात की गई। उन्होंने कहा था कि समस्या का समाधान शीघ्र होगा और पीडब्ल्यूडी को सूचित कर दिया गया है। लेकिन पीडब्ल्यूडी की सुस्त कार्यशैली के चलते स्थिति जस की तस बनी हुई है। पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के प्रति यह कहा जाता है कि “सड़क कच्ची तो नौकरी पक्की”, और शायद इसी सिद्धांत पर यहां भी काम हो रहा है।
अधिकारियों की लापरवाही मिनी सेक्रेटेरिएट की देखभाल का जिम्मा पीडब्ल्यूडी के पास है, और सबसे बड़ी विडंबना यह है कि अधिशासी अभियंता (XEN), एसडीओ, और जेई जैसे वरिष्ठ अधिकारी इसी बिल्डिंग में बैठते हैं। फिर भी कोई भी इस स्थिति को सुधारने के लिए कदम नहीं उठा रहा है। कर्मचारियों ने बताया कि उन्होंने कई बार अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला।
कर्मचारियों की मजबूरी यह समस्या न केवल आगंतुकों बल्कि कर्मचारियों के लिए भी बड़ी परेशानी बन चुकी है। वे सबोर्डिनेट होने के कारण अपने वरिष्ठ अधिकारियों के सामने कुछ नहीं कह पाते और चुपचाप इस बदतर स्थिति को सहन कर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि वे कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन “नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन सुनता है?” की तर्ज पर उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया।
एनजीओ की मदद की पेशकश कुछ सामाजिक संगठनों ने इन टॉयलेट्स की मरम्मत के लिए आगे आने की पेशकश की है। लेकिन इसके लिए वे चाहते हैं कि प्रशासन लिखित रूप में यह दे कि वे इस समस्या को हल करने में असमर्थ हैं या इसे ठीक नहीं करना चाहते। यदि प्रशासन उन्हें अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दे, तो ये संगठन खुद आगे आकर मरम्मत का कार्य करेंगे।
समस्या का हल संभव इंजीनियरिंग विभाग के पास इस समस्या का समाधान करने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं। कम खर्च में भी इसे ठीक किया जा सकता है, बशर्ते कि इच्छा शक्ति हो। लेकिन वर्तमान में, प्रशासन की ओर से कोई कदम न उठाए जाने के कारण स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है।
(ट्राई सिटी टाइम्स के लिए विशेष रिपोर्ट)
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