*कुलभूषण बंटा पालमपुर, जन्मदिन की बधाई से शोक संदेश तक: एक पल का फासला*
क्या पता था कि यह जन्मदिन उनकी जिंदगी का आखिरी जन्मदिन होगा? क्या पता था कि जो सुबह जन्मदिन मना रहा था, वही शाम को दुनिया को अलविदा कह देगा?

जन्मदिन की बधाई से शोक संदेश तक: एक पल का फासला
सुबह जन्मदिन की बधाइयों की बाढ़ और शाम को शोक संदेश की बौछार… बस यही है जीवन, यही है संसार।
आज का दिन मेरे लिए भावनाओं के चरम पर ले जाने वाला रहा। सुबह जिस मित्र के जन्मदिन की खुशी मनाई, शाम को उसी के निधन की खबर ने मन को झकझोर कर रख दिया।
मेरे प्रिय मित्र कुलभूषण बंटा जी का जन्मदिन था। सुबह की शुरुआत उनके नाम की चर्चाओं से हुई, व्हाट्सएप, कॉल और सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लगा रहा। हर कोई उनकी हंसमुख और मिलनसार छवि को याद कर रहा था। मैंने भी उन्हें हंसी-मजाक में बधाई दी, उनके चिर-परिचित अंदाज में ठहाके लगाने की कल्पना की। पर नियति ने शायद कुछ और ही सोचा था।
सुबह जब मैंने उन्हें फोन किया, तो कोई उत्तर नहीं मिला। सोचा, व्यस्त होंगे, बाद में कॉल करूंगा। दिनभर उनकी हंसी और खुशमिजाजी की छवि आंखों में घूमती रही। फिर शाम 7:15 बजे, मन में वही पुरानी शरारत लिए दोबारा फोन मिलाया।
इस बार उन्होंने फोन उठाया—
“हेलो… हेलो…!”
मैंने दो-तीन बार जवाब दिया, लेकिन अचानक फोन होल्ड पर चला गया। 14 सेकंड के बाद कॉल डिस्कनेक्ट हो गया। इस दौरान मुझे ज़रा भी अंदाजा नहीं था कि अगले ही पल जो खबर मिलेगी, वह दिल को छलनी कर देगी।
कुछ ही मिनटों में सूचना आई—
“कुलभूषण जी अब इस दुनिया में नहीं रहे!”
ओह माय गॉड! यह कैसा संयोग? यह कैसी विडंबना? सुबह जिसे हंसते-खिलखिलाते देखने की कल्पना कर रहा था, शाम को उसी के चले जाने की खबर आ गई।
एक ऐसा व्यक्ति, जो हंसता था, हंसाता था…
कुलभूषण बंटा जी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि मिलनसारिता, सादगी और सहजता का प्रतीक थे। कोई दिखावा नहीं, कोई बनावटीपन नहीं— जो दिल में था, वही चेहरे पर। हमेशा जीवन को हल्के अंदाज में लेने वाले, बेपरवाह लेकिन बेपनाह जीने का हुनर रखने वाले।
वे किसी से कोई ईर्ष्या या द्वेष नहीं रखते थे। हर किसी से प्रेम और सम्मान से पेश आते। “हर कोई अपना है, हर कोई बराबर है”— शायद यही उनकी जीवनशैली थी।
उनका जाना सिर्फ एक व्यक्ति का जाना नहीं, बल्कि एक ऊर्जा, एक हंसी, एक अपनापन खोने जैसा है।
क्या पता था कि यह जन्मदिन आखिरी होगा…?
मन सवालों से घिरा हुआ है—
क्या पता था कि यह जन्मदिन उनकी जिंदगी का आखिरी जन्मदिन होगा?
क्या पता था कि जो सुबह जन्मदिन मना रहा था, वही शाम को दुनिया को अलविदा कह देगा?
क्या पता था कि जो दोस्ती के मज़ाक में फोन किया था, वो आखिरी बार सुनी गई आवाज़ बन जाएगी?
बंटा जी सूद सभा पालमपुर के सम्माननीय सदस्य थे और हमेशा सूद सभा के निर्णयो का समर्थन किया करते थे।
मन भारी है। शब्द कम पड़ रहे हैं। आंखें नम हैं, दिल गमगीन है। ऐसा अनुभव पहले कभी नहीं हुआ, जहां जन्म और मृत्यु एक ही दिन में आपस में गले मिले हों।
हे ईश्वर, उन्हें अपने चरणों में स्थान देना!
कुलभूषण जी, जहां भी हों, खुश रहें। जैसे यहां अपने ठहाकों से सबको हंसाया, वैसे ही वहां भी अपनी ऊर्जा से सबको खुशियां बांटते रहें।
ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
ओम शांति! ओम शांति!