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#जनमंच :- *नगर निगम पालमपुर: अपने ही नियमों की अनदेखी*

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नगर निगम पालमपुर: अपने ही नियमों की अनदेखी।

Tct ,bksood, chief editor

“दूसरों को नसीहत, खुद मियां फजीहत”—यह कहावत नगर निगम पालमपुर पर सटीक बैठती है। आम नागरिकों के लिए भवन निर्माण के कड़े नियम बनाने वाले यह संस्थान खुद अपने कार्यालय भवन में उन्हीं मानकों की अनदेखी कर रहा है।

जहां आम आदमी को भवन निर्माण की स्वीकृति के लिए महीनों तक दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, वहीं नगर निगम अपने ही नियमों का उल्लंघन करता नजर आता है। पालमपुर स्थित निगम कार्यालय की सीढ़ियां इतनी संकरी हैं कि दो व्यक्ति एक साथ चढ़-उतर भी नहीं सकते। इनकी चौड़ाई मुश्किल से तीन फीट है, जबकि किसी भी व्यावसायिक भवन के लिए निश्चित चौड़ाई तय होती है।

आम जनता के लिए नियम, खुद के लिए छूट?

जब आम नागरिक भवन निर्माण के लिए आवेदन करता है, तो इंजीनियरिंग टीम हर इंच का बारीकी से निरीक्षण करती है:

कितनी जगह आगे और पीछे छोड़ी गई है?

सीढ़ियों की चौड़ाई कितनी है?

फायर एग्जिट की व्यवस्था कहां है?

ये सभी मानक जनता पर तो लागू होते हैं, लेकिन नगर निगम के अपने भवन पर शायद नहीं! यहां सीढ़ियों की चौड़ाई इतनी कम है कि एक व्यक्ति नीचे से आ रहा हो, तो दूसरे को ऊपर इंतजार करना पड़ता है। यदि कभी शॉर्ट सर्किट, आगजनी या अन्य आपदा होती है, तो इन सीढ़ियों से लोग कैसे सुरक्षित बाहर निकलेंगे?

इंजीनियरिंग स्टाफ की अनदेखी, या जानबूझकर लापरवाही?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या नगर निगम के इंजीनियरिंग विभाग को यह नहीं दिखा कि इतनी संकरी सीढ़ियां किसी भी आपदा के समय जानलेवा साबित हो सकती हैं?

यदि यह गलती आम नागरिक करता, तो उसका नक्शा पास होने से पहले ही रद्द कर दिया जाता। लेकिन जब बात खुद नगर निगम की आई, तो कोई नियम लागू नहीं हुआ?

इस चित्र में देख सकते दूसरा आदमी कैसे बड़ी मुश्किल से दीवार से चिपक कर भी क्रॉस नहीं हो पा रहा

क्या यह नियमों के दायरे में आता है?

अब सवाल उठता है कि नगर निगम बताए कि—

1. किस नियम के तहत इस संकरी सीढ़ी को स्वीकृति दी गई?

2. यदि यह सही है, तो फिर आम जनता पर इतने कड़े नियम क्यों लागू किए जाते हैं?

3. यदि यह गलत है, तो जिम्मेदारी किसकी होगी?

 

नगर निगम को इस विषय पर जल्द से जल्द स्पष्टीकरण देना चाहिए, ताकि जनता को यह समझ आ सके कि नियम सभी के लिए समान हैं या सिर्फ आम जनता के लिए?

सरकार नहीं, जनता जवाब चाहती है!

नगर निगम का यह रवैया दर्शाता है कि भवन निर्माण के नियम सिर्फ आम जनता को उलझाने और परेशान करने के लिए बनाए जाते हैं। खुद नियमों को तोड़ना और जनता पर थोपना, क्या यही ‘स्मार्ट सिटी’ की परिभाषा है?

अब नगर निगम को अपने नियमों की समीक्षा करनी होगी— नगर निगम इस विषय पर अपने प्रतिक्रिया और स्पष्टीकरण देने में अनउपलब्ध और असमर्थ रहा। कहा गया की रिपोर्ट चेक किया जाएगा

“क्या नियम सिर्फ कागजों पर हैं, या फिर इनका पालन खुद सरकारी दफ्तरों में भी होता है?”

*(रिपोर्ट: ट्राई सिटी टाइम्स)*

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