Uncategorized

*महाशिवरात्रि कब, क्यों और कैसे मनाते हैं इसका धार्मिक तथा आध्यात्मिक महत्व क्या है एक लघु लेख*

 

Tct

धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि महादेव और माता पार्वती के विवाह की तिथि है. महाशिवरात्रि पर शिव भक्त व्रत रखकर विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. देश भर के शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि बेहद धूमधाम से मनाई जाती है और बड़ी संख्या में लोग प्रभु के दर्शन करने मंदिर पहुंचते हैं.

पौराणिक कथाओं में यह भी कहा गया है कि महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवजी ने वैराग्य का त्याग कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया और माता पार्वती से विवाह किया. इसी कारण, हर वर्ष शिव-गौरी के विवाह उत्सव के रूप में महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाता है.

भगवान शिव और मां पर्वती की पूजा-अर्चना करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस पर्व के लिए शिव मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है और शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।

साल में 12 मासिक शिवरात्रि और एक महाशिवरात्रि होती है. मासिक शिवरात्रि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है. वहीं, महाशिवरात्रि साल में एक बार फ़ाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को आती है.

यह हिंदू धर्म में एक उल्लेखनीय त्यौहार है, जो जीवन और दुनिया में “अंधकार और अज्ञानता पर काबू पाने” की याद दिलाता है । यह शिव को याद करके और प्रार्थनाओं का जाप करके, उपवास करके और नैतिकता और सद्गुणों जैसे ईमानदारी, दूसरों को चोट न पहुँचाना, दान, क्षमा और शिव की खोज पर ध्यान लगाकर मनाया जाता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button