शख्शियत

*घरठी (धर्मपुर सोलन )की लम्बरदारनी श्रीमती तारावती ठाकुर: सेवा, समर्पण और स्नेह की प्रतिमूर्ति का अचानक95 वर्ष की आयु में देहावसान*

 

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*घरठी (धर्मपुर सोलन )की लम्बरदारनी श्रीमती तारावती ठाकुर: सेवा, समर्पण और स्नेह की प्रतिमूर्ति का अचानक95 वर्ष की आयु में देहावसान*

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घरठी की नम्बरदारनी श्रीमती तारावती ठाकुर, पत्नी पूर्व प्रधान स्वर्गीय ठाकुर शिव सिंह, का 95 वर्ष की गरिमामयी उम्र में निधन हो गया। उनके जाने से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा खानदान और इलाका शोक में डूब गया है। वे एक ऐसी शख्सियत थीं, जिनका जीवन सेवा, समर्पण और स्नेह की मिसाल था।

श्रीमती तारावती ठाकुर का जीवन चिंता मुक्त और दिलेरी से भरपूर था। उन्होंने कभी भी कठिनाइयों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया, बल्कि हर चुनौती का सामना धैर्य और सूझबूझ से किया। वे अपने परिवार और समाज की धुरी थीं, जिनके बिना हर कोई अधूरा महसूस कर रहा है। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे हर किसी के सुख-दुख में साथ खड़ी होती थीं। जरूरत पड़ने पर वे अपने स्नेह से हर दर्द को कम कर देतीं और अपने अनुभव से हर समस्या का समाधान निकालती थीं।

उनका स्नेह सावन की बारिश की तरह था, जो हर किसी को शीतलता और अपनापन देता था।
रिश्ते में हुए मेरे मामीन थे मैं स्वयं उनसे लगभग 20 साल बाद मिला परंतु एक पल के लिए भी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वह मेरा नाम भूल गई है मुझे पहचान में परेशानी महसूस कर रही हैं वही पुराना अपनापन और वही पुरानी भूली बिसरी यादें सब याद दिला दी उन्होंने इतना प्यार किया की सोच कर आज भी आंखों में आंसू छलकते हैं । एकदम वही ठकुराइन वाली कड़क आवाज असीम हिम्मत तथा बुलंद हौसला दमदार बातें।

लेकिन इसके साथ ही वे अनुशासनप्रिय भी थीं। जब जरूरत होती, तो वे पूरे अधिकार के साथ अपनों को समझातीं, उन्हें सही राह दिखातीं और यदि आवश्यक होता, तो लाड़-प्यार में डांट का भी उपयोग करतीं। उनका प्रत्येक शब्द स्नेह और सीख से भरा होता था। वे परिवार की एक मजबूत कड़ी थीं, जिन्होंने सभी को एक सूत्र में बाँधकर रखा।

एक मुखिया के रूप में उन्होंने अपने पूरे अधिकार के साथ परिवार को सँभाला और हर सदस्य का मार्गदर्शन किया। उनकी उपस्थिति मात्र से घर का माहौल संतुलित और स्नेहमय बना रहता था। वे उन दुर्लभ व्यक्तित्वों में से थीं, जिनकी छत्रछाया में पूरा परिवार सुरक्षित महसूस करता था। उनका जीवन त्याग, परोपकार और समाज सेवा का उदाहरण था।

उनके निधन से परिवार और समाज ने एक ऐसी अद्वितीय महिला को खो दिया है, जिनकी शिक्षाएँ और संस्कार अमूल्य हैं। उनके जाने से जो शून्य पैदा हुआ है, उसे भर पाना असंभव है। हम सभी उन्हें नमन करते हैं, उनके चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वे उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। उनके संस्कार और मूल्य हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।

श्रद्धांजलि! ईश्वर उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
ॐ शांति ॐ

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